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भारत के कूटनीतिक ‘पंच’ ने पाकिस्तान को किया पस्त, अब नकल करने लगा आतंकिस्तान

India Pakistan conflict

शहबाज शरीफ

India Pakistan conflict: भारत ने एक ऐसा कूटनीतिक दांव चला है, जिसने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया है. भारत की इस रणनीति ने न सिर्फ दुनिया का ध्यान खींचा, बल्कि पाकिस्तान को अपनी छवि बचाने के लिए भागदौड़ करने पर भी मजबूर कर दिया.

बात शुरू होती है ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से. भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. इस हमले में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे खतरनाक संगठनों के 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए. भारत ने साफ कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ अब ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति लागू है.

इस सैन्य कार्रवाई के बाद भारत ने एक और बड़ा दांव चला. भारत ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाने की घोषणा की, जो दुनिया के बड़े देशों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों से मिलकर ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को समझाएंगे. इनमें शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, कनिमोझी जैसे बड़े नेता शामिल हैं. भारत का मकसद साफ है कि दुनिया को बताना कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं और इसकी कोई जगह नहीं.

पाकिस्तान की बेचैनी

भारत के इस कदम से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया. उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि पहले ही आतंकवाद को समर्थन देने की वजह से खराब है. ऑपरेशन सिंदूर ने तो पाकिस्तान के आतंकवाद से गहरे रिश्तों को दुनिया के सामने और नंगा कर दिया. अब पाकिस्तान ने भारत की नकल करते हुए ऐलान किया कि वह भी दुनिया भर में अपने प्रतिनिधिमंडल भेजेगा. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी को इसकी कमान सौंपी गई है. बिलावल ने फेसबुक पर लिखा, “मैं शांति के लिए पाकिस्तान का पक्ष रखूंगा.”

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पाकिस्तान की राह मुश्किल क्यों?

पाकिस्तान के लिए यह राह आसान नहीं. ऑपरेशन सिंदूर के बाद उसने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, जैसे सीमा पर गोलाबारी और ड्रोन हमले. लेकिन भारत ने इसका करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान के 11 एयरबेसों पर हमला कर रडार और संचार केंद्रों को तबाह कर दिया. इससे पाकिस्तान की साख को और ठेस पहुंची. दुनिया जानती है कि पाकिस्तान आतंकवाद को रोकने में नाकाम रहा है. ऐसे में बिलावल का “शांति” का दांव कितना रंग लाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा.

भारत की एकजुटता की मिसाल

वहीं, भारत का कदम राष्ट्रीय एकता की शानदार मिसाल है. सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता एक साथ मिलकर दुनिया को भारत का संदेश दे रहे हैं. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “यह वक्त राजनीति से ऊपर उठने का है. हमारा संदेश साफ है कि आतंकवाद बर्दाश्त नहीं.” भारत की यह रणनीति न सिर्फ कूटनीतिक जीत है, बल्कि यह दिखाती है कि जब बात देश की सुरक्षा की हो, तो भारत एकजुट है.

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