Pakistan IMF Warning: पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. एक तरफ भारत के साथ तनाव चरम पर है, तो दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने सख्त चेतावनी दी है. IMF ने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने भारत के साथ चल रहे तनाव को और बढ़ाया, तो उसकी अर्थव्यवस्था गहरे संकट में फंस सकती है. इतना ही नहीं, आईएमएफ ने कर्ज की अगली किश्त देने के लिए 11 नई शर्तें भी थोप दी हैं. ये शर्तें ऐसी हैं कि पाकिस्तान के लिए इन्हें मानना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. आइए, जानते हैं कि क्या है पूरा मामला और पाकिस्तान की राह में कौन-कौन सी मुश्किलें खड़ी हो रही हैं.
IMF की चेतावनी
पिछले कुछ हफ्तों से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव आसमान छू रहा है. 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 6-7 मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर हमला किया. जवाब में पाकिस्तान ने 8 से 10 मई तक भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमले की कोशिश की. 10 मई को दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है.
आईएमएफ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में चेताया है कि अगर ये तनाव और बढ़ा, तो पाकिस्तान का आर्थिक सुधार कार्यक्रम पटरी से उतर सकता है. इससे देश का खजाना, विदेशी मुद्रा भंडार और सुधार योजनाएं खतरे में पड़ सकती हैं. हालांकि, शेयर बाजार ने अभी तक इस तनाव को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है और हाल के फायदे को बरकरार रखा है. लेकिन आईएमएफ का कहना है कि खतरा अभी टला नहीं है.
रक्षा बजट में इजाफा, लेकिन जेब खाली!
आईएमएफ ने अगले वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान के रक्षा बजट को 2,414 अरब रुपये आंका है, जो पिछले साल से 12% ज्यादा है. लेकिन भारत के साथ तनाव बढ़ने के बाद पाकिस्तान ने रक्षा खर्च को 2,500 अरब रुपये तक बढ़ाने का इशारा किया है, यानी 18% का इजाफा. सवाल ये है कि कर्ज के बोझ तले दबा पाकिस्तान इतना पैसा कहां से लाएगा?
यह भी पढ़ें: भारत के कूटनीतिक ‘पंच’ ने पाकिस्तान को किया पस्त, अब नकल करने लगा आतंकिस्तान
आईएमएफ की 11 नई शर्तें
आईएमएफ ने कर्ज की अगली किश्त के लिए पाकिस्तान पर 11 नई शर्तें लाद दी हैं. इनमें 17,600 अरब रुपये के बजट को संसद से मंजूरी लेना, बिजली बिलों पर लोन भुगतान का अधिभार बढ़ाना और तीन साल से पुरानी कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना शामिल है.
इसके अलावा, प्रांतों को जून तक नए कृषि आयकर कानून लागू करने होंगे, जिसमें करदाताओं की पहचान, रजिस्ट्रेशन और अनुपालन सुधार के लिए खास प्लान तैयार करना होगा. ऊर्जा क्षेत्र में भी चार नई शर्तें हैं, जिन्हें लागू करना पाकिस्तान के लिए आसान नहीं होगा. IMF ने सरकार से 2027 के बाद की वित्तीय रणनीति तैयार करने और उसे सार्वजनिक करने को भी कहा है.
क्या है पाकिस्तान की मुश्किल?
पाकिस्तान पहले से ही 130 अरब डॉलर के कर्ज के बोझ तले दबा है. आईएमएफ ने हाल ही में 1 अरब डॉलर की किश्त मंजूर की है, लेकिन ये मदद भी सख्त शर्तों के साथ आई है. अगर पाकिस्तान इन शर्तों को पूरा नहीं कर पाया या भारत के साथ तनाव को काबू नहीं किया, तो उसकी अर्थव्यवस्था और गहरे गड्ढे में जा सकती है. पाकिस्तान के लिए ये दोराहा है. एक तरफ भारत के साथ शांति बनाए रखने की चुनौती, तो दूसरी तरफ आईएमएफ की शर्तों को पूरा करने का दबाव. देखना होगा कि पाकिस्तान इस संकट से कैसे उबरता है, या फिर और गहरे दलदल में फंसता है.
