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‘पानी’ ने याद दिला दी नानी! पाकिस्तान में एक बड़े अधिकारी ने दिया इस्तीफा

Pakistan Water Crisis

भारत ने रोका है पाकिस्तान का पानी

Pakistan Water Crisis: भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों में अब ‘पानी’ ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. हाल ही में पाकिस्तान के जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) के अध्यक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल सज्जाद गनी (रिटायर्ड) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. और इसका सीधा कनेक्शनभारत के एक कड़े फैसले से है!

आखिर हुआ क्या?

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा कदम उठाया. नरेंद्र मोदी सरकार ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty – IWT) को निलंबित कर दिया. ये फैसला पाकिस्तान के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था, क्योंकि इस संधि के तहत भारत से पाकिस्तान को पानी मिलता है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कह दिया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं कर देता, तब तक सिंधु जल समझौता फिर से बहाल नहीं होगा. उनका कहना है, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते.” यानी, अगर पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता रहेगा, तो उसे पानी भी नहीं मिलेगा.

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क्यों दिया सज्जाद गनी ने इस्तीफा?

बताया जा रहा है कि सज्जाद गनी का इस्तीफा सिंधु जल संधि को लेकर नागरिक प्रशासन और सेना के बीच चल रही तनातनी का नतीजा है. सूत्रों की मानें तो WAPDA और पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के भीतर भी इस मुद्दे पर असहमति थी.

कुछ लोगों का मानना है कि पाकिस्तान का नागरिक प्रशासन सेना को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है. उन्हें लगता है कि सेना की गतिविधियों के कारण ही भारत ने इतना कड़ा कदम उठाया है. सज्जाद गनी को अगस्त 2022 में ही WAPDA का अध्यक्ष बनाया गया था.

कौन हैं सज्जाद गनी?

सज्जाद गनी एक कश्मीरी हैं, जिनके पिता जाने-माने अभिनेता अहमद ताहा गनी थे. सेना में उनका करियर काफी लंबा रहा. वह 19 DIV (झेलम) के जीओसी थे और 2013 से 2015 तक पाकिस्तान सेना के 5 कोर कराची का नेतृत्व भी किया. 2016 में सेना से रिटायर होने के बाद, उन्हें अगस्त 2022 में WAPDA का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. हालांकि, उनके कार्यकाल के दौरान, स्वात में रहते हुए उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे.

भारत का साफ संदेश

भारत का रुख बिलकुल स्पष्ट है. आतंकवाद बंद करो, तभी पानी मिलेगा! यह फैसला न केवल पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर असर डाल रहा है, बल्कि उसकी अंदरूनी राजनीति में भी हलचल पैदा कर रहा है.

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