Chandan Mishra Murder Case: बिहार की राजधानी पटना के पारस अस्पताल में 17 जुलाई की सुबह करीब 7 बजे एक सनसनीखेज वारदात हुई. बक्सर के कुख्यात गैंगस्टर चंदन मिश्रा, जो बेऊर जेल से पैरोल पर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती था. उसकी पांच हथियारबंद अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. यह घटना अस्पताल के आईसीयू में कमरा नंबर 209 में हुई, जहां शूटर्स ने महज 25-36 सेकंड में ताबड़तोड़ गोलियां चलाकर चंदन को मौत के घाट उतार दिया. इस घटना में अब पटना पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है. पुलिस और STF की टीम ने शूटर्स को गिरफ्तार कर लिया है.
शेरू सिंह और गैंगवार का कनेक्शन
चंदन मिश्रा हत्याकांड ने बिहार को झकझोर कर रखा है. गोपाल खेमका हत्याकांड का मामला अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ उसी बीच चंदन मिश्रा हत्याकांड ने प्रदेश में पुलिस के घटते प्रभाव पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया. इस हत्याकांड ने पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा किया है. इस मामले में पुलिस शख्ती से काम कर रही है. पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि हत्या के पीछे चंदन मिश्रा का पुराना साथी और अब दुश्मन बना ओंकारनाथ सिंह उर्फ़ शेरू सिंह है. जो पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जेल में बंद है.
चंदन और शेरू पहले बक्सर में एक साथ कई आपराधिक वारदातों को अंजाम देते थे. मगर 2011 में एक विवाद के बाद दोनों की राहें अलग हो गईं और वे एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, शेरू को शक था कि चंदन उसके गैंग के सदस्यों के बारे में पुलिस को जानकारी दे रहा था, जिसके चलते उसने बिहार की जेल से अपने गुर्गों के साथ मिलकर हत्या की साजिश रची.
शूटर्स की पहचान: तौसीफ बादशाह का नेतृत्व
पटना पुलिस और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों के आधार पर पांचों शूटर्स की पहचान कर ली. मुख्य शूटर तौसीफ बादशाह उर्फ तौसीफ रजा है, जो पटना के फुलवारी शरीफ का रहने वाला है. यह पहले भी कई बार जेल जा चुका है. अन्य शूटर्स में आकिब मालिक (फुलवारी शरीफ), बलवंत सिंह (बक्सर), मोनू सिंह (बक्सर), अभिषेक, और नीलेश शामिल हैं. तौसीफ को अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था की अच्छी जानकारी थी, क्योंकि उसने पहले अपने किसी करीबी का इलाज उसी अस्पताल में करवाया था.
पुलिस की कार्रवाई: पश्चिम बंगाल से गिरफ्तारी
18 जुलाई की देर रात पटना पुलिस और STF की संयुक्त टीम ने पश्चिम बंगाल में छापेमारी कर 5 शूटर्स को गिरफ्तार किया. हालांकि, गिरफ्तारियों की संख्या और पुष्टि को लेकर अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है. पुलिस ने बक्सर, आरा, और पटना समेत कई जिलों में छापेमारी की और सात संदिग्धों को हिरासत में लिया, जिनमें से मोनू सिंह की संलिप्तता की पुष्टि हुई है. बलवंत सिंह की जांच जारी है. पुलिस ने हथियार सप्लाई करने वाले और शूटर्स की मदद करने वाले दो अन्य लोगों की भी पहचान की है.
पूर्व नियोजित साजिश और सुरक्षा चूक
पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि हत्या एक पूर्व नियोजित गैंगवार का हिस्सा थी. शूटर्स ने अस्पताल की पूरी जानकारी जुटाकर वारदात को अंजाम दिया. सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि दो बाइक पर सवार होकर आए शूटरों ने अस्पताल के मेन गेट से प्रवेश किया और बिना किसी रोक-टोक के आईसीयू तक पहुंच गए. इस दौरान कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था, जिसने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए. पुलिस ने अस्पताल प्रशासन से भी जवाब मांगा है.
चंदन मिश्रा का आपराधिक इतिहास
चंदन मिश्रा बक्सर का कुख्यात अपराधी था, जिसके खिलाफ हत्या, लूट, रंगदारी, और अपहरण जैसे 24 से अधिक मामले दर्ज थे. 2011 में उसने शेरू सिंह के साथ मिलकर बक्सर में चूना कारोबारी राजेंद्र केसरी की हत्या की थी, जिसके लिए उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी. वह बेऊर जेल में सजा काट रहा था और फिस्टुला के इलाज के लिए 21 दिन की पैरोल पर बाहर आया था. उसकी पैरोल की अवधि 18 जुलाई को समाप्त होने वाली थी.
बिहार में कानून व्यवस्था पर सवाल
चंदन मिश्रा हत्याकांड ने बिहार की कानून व्यवस्था और जेल प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं. विपक्षी दलों, जैसे आरजेडी और कांग्रेस, ने सरकार पर निशाना साधते हुए इसे ‘जंगलराज’ का उदाहरण बताया. वहीं, डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने जांच का आश्वासन दिया है. डीजीपी विनय कुमार और एडीजी कुंदन कृष्णन ने मामले की समीक्षा की और SIT को जल्द कार्रवाई के निर्देश दिए.
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आगे की जांच और अपेक्षित कार्रवाई
पटना पुलिस और STF अब शेष संदिग्धों की तलाश में बिहार और पड़ोसी राज्यों में छापेमारी कर रही है. पुलिस को उम्मीद है कि जल्द ही सभी आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा. जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या हत्या में अस्पताल कर्मियों की कोई मिलीभगत थी. सीसीटीवी फुटेज और अन्य तकनीकी सबूतों के आधार पर पुलिस मामले की गहराई से तफ्तीश कर रही है.
