Pawan Singh Bihar Elections: भोजपुरी सिनेमा के धाकड़ हीरो पवन सिंह का नाम तो आपने सुना ही होगा, जिसकी आवाज़ पर बिहार-यूपी के लाखों फैन थिरकते हैं. लेकिन आजकल ये स्टार सियासत के मैदान में छा रहा है, वो भी एक ऐसे ट्विस्ट के साथ जो किसी बॉलीवुड मूवी से कम नहीं. अमित शाह के साथ सेल्फी शेयर कर पवन ने इशारा क दिया कि बस BJP का वफादार सिपाही बनकर रहूंगा. लेकिन विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा. लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि जो आदमी लोकसभा चुनाव में 4 लाख वोट बटोर चुका, वो अब क्यों पीछे हट गया? चलिए, इस सियासी रंग को विस्तार से समझते हैं.
लोकसभा का ‘क्लोज फाइट’ और BJP से ‘ब्रेकअप’
पवन की सियासी कहानी 2024 के लोकसभा चुनाव से शुरू होती है. पहले तो BJP ने उन्हें बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट थमा दिया, पार्टी ने सोचा, भोजपुरी स्टार से बिहारी वोटरों का दिल जीत लेंगे. लेकिन हाय रे किस्मत. विपक्ष ने उनके पुराने गानों पर उंगली उठाई. बवाल मचा और टिकट भी कटा. फिर पवन ने ठान लिया कि बिहार की काराकाट सीट से निर्दलीय लड़ूंगा. नतीजा? NDA के उम्मीदवार उपेंद्र कुशवाहा को 1.5 लाख वोटों से हार गए. हालांकि, पवन सिंह खुद भी नहीं जीत पाए. गुस्से में बीजेपी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया.
पवन सिंह की घर वापसी
अब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले हाल ही में पवन सिंह की ‘घर वापसी’ हुई. अमित शाह और JP नड्डा से मीटिंग के बाद पवन ने ऐलान कर दिया कि मैं विधानसभा चुनाव नहीं लड़ूंगा. हालांकि, फिलहाल पवन सिंह को Y+ सिक्योरिटी मिल गई है. लेकिन सवाल फिर उठता है कि आखिर वजह क्या है? शायद उनका स्टारडम इतना बड़ा है कि लोकल चुनाव में उलझना उनके ‘नेशनल हीरो’ वाले अंदाज़ को फीका न कर दे. या फिर… घर का ड्रामा.
छोटे सितारे के बीच नहीं जाना चाहते ‘पावर स्टार’
गौरतलब है कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भोजपुरी इंडस्ट्री के सितारे जमकर धमाल मचा रहे हैं. एक तरफ अक्षरा सिंह गिरीराज सिंह से मिलकर BJP में एंट्री की अफवाहें बुन रही हैं, तो दूसरी ओर रितेश पांडेय प्रशांत किशोर की जन सुराज से करगहर सीट पर उतर गए हैं. मधुबनी की फोक सिंगर मैथिली ठाकुर तो बेनीपट्टी से मैदान संभालने का खुला ऐलान कर चुकी हैं, जबकि दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ जैसे दिग्गज पहले से ही सियासत के पिच पर टिके हुए हैं.
ऐसे में भोजपुरी बेल्ट की 22 सीटों पर ये सितारे वोटरों का दिल जीतने को बेताब हैं , गाने गाकर, रैलियों में ठुमका लगाकर. लेकिन पवन सिंह जैसे ‘पावर स्टार’ के लिए ये क्राउडेड स्टेज पर अपना कद छोटा करना मतलब करियर का फ्लॉप शो हो सकता है. वो जानते हैं कि लोकल फाइट में उलझकर उनका नेशनल हीरो वाला इमेज फीका पड़ जाएगा, इसलिए BJP का ‘सच्चा सिपाही’ बनकर प्रचार का रोल चुन लिया, रिस्क कम, ग्लोरी ज्यादा.
केंद्र की राजनीति करना चाहते हैं पवन!
पवन सिंह की नजरें तो अब केंद्र की सियासत पर टिकी हैं, जहां उनका स्टारडम असली कमाल दिखा सकता है. 2024 के लोकसभा में आसनसोल से BJP टिकट मांगने का सपना टूटा, काराकाट से 4 लाख वोट बटोरकर साबित कर दिया कि वो बिहार से कूदकर राष्ट्रीय पटल पर चमक सकते हैं. अमित शाह और JP नड्डा से मिलकर ‘घर वापसी’ के बाद Y+ सिक्योरिटी मिली, जो बताती है कि BJP उन्हें लंबे रन का प्लेयर मान रही है.
2029 के लोकसभा में आरा या शाहाबाद से बड़ा धमाका करने की प्लानिंग है. पवन इशारा कर रहे हैं कि बिहार की लोकल रिंग में नहीं, दिल्ली की पावरफुल अखाड़े में एंट्री करूंगा. हालांकि, बीजेपी बात 2029 तक नहीं जाने देगी. बीच में ही पवन को राज्यसभा भेजा जा सकता है. हालांकि, ये कयास भर है, क्योंकि बीजेपी की प्लानिंग जगजाहिर नहीं होती.
पत्नी ज्योति का PK कनेक्शन और ‘फेसऑफ’ की अफवाहें
पवन की पत्नी ज्योति सिंह ने हाल ही में घरेलू हिंसा के गंभीर आरोप लगाए. ज्योति ने कहा, “मैं महिलाओं के हक के लिए लड़ूंगी, चुनाव का इरादा नहीं.” लेकिन सियासी पंडितों की नजर में ये कुछ और कहानी बयां करता है. ज्योति ने प्रशांत किशोर (PK) की जनसुराज पार्टी से हाथ मिलाने की कोशिश की है. खबरें हैं कि वो रोहतास या आसपास की सीट से उतर सकती हैं. हालांकि, प्रशांत किशोर ने इन अटकलों पर विराम लगा दिया है. उन्होंने कहा, “ज्योति भाई से मिलने आई थी. टिकट के लिए नहीं. ये उनका पारिवारिक मसला है.”
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BJP की चालाकी?
पार्टी ने पवन को टिकट की बजाय ‘स्टार कैंपेनर’ का रोल दिया है. भोजपुरी बेल्ट की 22 सीटों पर रैलियां, गाने और वोट जुटाना अब पवन की जिम्मेदारी है. 2024 में उनकी बगावत से NDA को चोट लगी थी, अब कोई रिस्क नहीं. अमित शाह वाली फोटो खुद इसकी मिसाल है कि हम साथ हैं, लेकिन सेफ गेम खेलेंगे.
BJP का ट्रंप कार्ड या फ्लॉप शो?
पवन का ये कदम स्मार्ट मूव लगता है. पवन सिंह ने अगर प्रचार में दम दिखा दिया, तो शाहाबाद-मगध इलाके में BJP का झंडा लहरा सकता है. राजपूत वोटरों का सपोर्ट, कोएरी गठजोड़ सब कुछ फिट बैठता है. लेकिन घरेलू विवाद अगर कोर्ट पहुंचा, तो सियासत पर ब्रेक लग सकता है. और अगर ज्योति जनसुराज से मैदान में उतरीं, तो ‘पति-पत्नी का रॉयल रंबल’ बिहार को हिला देगा.
