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‘किसानों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करूंगा, मुझे कीमत…’, बौखलाए ट्रंप को PM मोदी ने दे दिया संदेश

India-US Trade

अमेरिकी टैरिफ पर प्रधानमंत्री मोदी का करारा जवाब

PM Modi on US Tariff: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन में देश के किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता बताया. पीएम मोदी का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा और भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ कहने के जवाब में आया. पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि ‘भारत अपने हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, मैं जानता हूं कि व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं. मेरे देश के किसानों के लिए आज भारत तैयार है.’

नहीं झुकेगा भारत, हुआ सख्त

अमेरिका ने 1 अगस्त से भारतीय निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की, जिसे ट्रंप प्रशासन ने भारत के ‘बंद बाजार’ की नीति के खिलाफ जवाबी कार्रवाई बताया. ट्रंप ने दावा किया कि भारत अमेरिकी उत्पादों के लिए अपने बाजार को बंद रखता है, खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्र में. जवाब में, भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि वह राष्ट्रीय हितों, विशेष रूप से किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी. वाणिज्य मंत्रालय ने कहा- ‘हम एक निष्पक्ष और पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन किसानों और एमएसएमई के हितों से कोई समझौता नहीं होगा.’

अब पीएम मोदी ने भी खुले मंच से यह ऐलान कर दिया है कि भारत यूएस टैरिफ के आगे नहीं झुकेगा. एमएस स्वामीनाथन शताब्दी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- ‘हमारे लिए अपने किसानों का हित सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत अपने किसानों के, पशुपालकों के और मछुआरों के हितों के साथ कभी भी समझौता नहीं करेगा. मैं जानता हूं व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं. मेरे देश के किसानों के लिए आज भारत तैयार है.’

किसानों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता

पीएम मोदी ने अपने बयान में जोर दिया कि किसानों का हित सर्वोपरि है. सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाने, गेहूं उपार्जन की अवधि को 9 अप्रैल 2025 तक बढ़ाने, और आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों के आयात पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाए हैं. मध्य प्रदेश में गेहूं की खरीद 2600 रुपये प्रति क्विंटल (2425 रुपये MSP + 175 रुपये बोनस) की दर से की जा रही है. इसके अलावा, खाद्य तेलों के आयात पर 20% टैक्स और परबॉइल्ड चावल पर निर्यात शुल्क को आधा करने जैसे निर्णय किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए गए हैं.

बता दें कि भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील में डेयरी और कृषि क्षेत्रों को लेकर गतिरोध बना हुआ है. अमेरिका भारत से अपने कृषि उत्पादों (जैसे मक्का, सोयाबीन, सेब, और डेयरी) पर टैरिफ में कमी चाहता है, जबकि भारत अपने किसानों और खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है. भारत का कहना है कि अमेरिकी डेयरी उत्पाद, जिनमें गायों को मांस-आधारित चारा दिया जाता है, भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ हैं. इसके अलावा, जेनेटिकली मॉडिफाइड (GM) फसलों के आयात से स्थानीय किसानों और पर्यावरण को नुकसान का डर है. भारत ने कुछ रियायतें दी हैं, जैसे 40% औद्योगिक सामानों पर टैरिफ हटाने का प्रस्ताव, लेकिन डेयरी और कृषि पर सख्त रुख अपनाए हुए है.

पशुपालकों और मछुआरों का सशक्तिकरण

पशुपालकों के लिए सरकार ने गोचर भूमि पर हरा चारा विकसित करने की योजना शुरू की है और मांसाहारी दूध व गौमांस जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सख्त नीति अपनाई है. मछुआरों के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत 40-60% सब्सिडी और तालाबों के बीमा जैसी योजनाएं लागू की गई हैं. बिहार में तालाब निर्माण आधारित मत्स्य पालन योजना में 80% तक अनुदान दिया जा रहा है. ये कदम स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए हैं.

ट्रंप की टिप्पणियों का जवाब

ट्रंप ने भारत को ‘मृत अर्थव्यवस्था’ कहकर और भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता का दावा करके विवाद खड़ा किया. पीएम मोदी ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि भारत अपनी नीतियों में स्वतंत्र है और किसी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा. उन्होंने संसद में स्पष्ट किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे फैसले भारत के अपने थे, और इसमें किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं थी. यह बयान भारत की संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों पर अडिग रहने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत

ट्रंप के टैरिफ के जवाब में पीएम मोदी ने स्वदेशी अपनाने की अपील की. पिछले दिनों ही वाराणसी में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- ‘हमारे हर फैसले में यह देखना जरूरी है कि हम जो चीज खरीद रहे हैं, वह भारतीय मेहनत से बनी हो.’ सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए हैं, ताकि विदेशी आयात पर निर्भरता कम हो और भारतीय किसानों व उद्यमियों को लाभ मिले.

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