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पुतिन संग कार यात्रा, पहलगाम हमले पर दुनिया एकजुट…SCO समिट में PM मोदी के मास्टर स्ट्रोक से पस्त पाकिस्तान!

SCO Summit 2025

चीन में पीएम मोदी का जलवा जलाल!

SCO Summit 2025: SCO समिट में भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देश एक ही टेबल पर बैठे थे. वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा दांव चला कि पाकिस्तान चारों खाने चित और पूरी दुनिया भारत के साथ खड़ी हो गई. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की समिट में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा हुई. सभी देशों ने एक सुर में कहा, “आतंकवाद को अब बर्दाश्त नहीं करेंगे.” ऊपर से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पीएम मोदी एक ही कार में समिट पहुंचे. आइये जानते हैं कि भारत ने चीन में कैसे कूटनीति का झंडा गाड़ दिया.

पहलगाम का वो काला दिन

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने खौफनाक हमला कर दिया. पाकिस्तान समर्थित ग्रुप ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने मासूम पर्यटकों को निशाना बनाया. 26 लोग शहीद हुए. ये हमला सिर्फ भारत पर नहीं, बल्कि इंसानियत पर हमला था. भारत ने जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान और PoK के आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया. चार दिन की जंग के बाद भारत ने अपनी ताकत दिखाई, लेकिन दुनिया को बताना बाकी था कि आतंकवाद का असली चेहरा कौन है.

राजनाथ सिंह ने कैसे बनाया रास्ता

जून 2025 में SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई थी चिंगदाओ चीन में. वहां रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गए. वहां एक जॉइंट स्टेटमेंट तैयार हुआ, लेकिन उसमें पहलगाम हमले का जिक्र तक नहीं था. उल्टा, पाकिस्तान ने चालबाजी की और बालोचिस्तान में ‘उग्रवाद’ का मुद्दा उठवाने की कोशिश की, ताकि भारत को बदनाम किया जाए. लेकिन राजनाथ सिंह ने कहा, “नहीं साहब, ये डबल गेम नहीं चलेगा.” उन्होंने उस स्टेटमेंट पर साइन करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा, “आतंकवाद का नाम लो, स्पॉन्सर्स को बेनकाब करो, वरना हम बाहर ही रहेंगे.” नतीजा? कोई स्टेटमेंट ही जारी नहीं हुआ. यानी राजनाथ सिंह ने SCO में अगली जंग का मैदान तैयार कर दिया.

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समिट में मोदी का धमाका

अब आते हैं तियानजिन की SCO समिट पर, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक हुई. ये वो मंच है जहां भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान और ईरान जैसे 10 देश सुरक्षा और सहयोग की बात करते हैं. मोदी पहुंचे और सबसे पहले पुतिन के साथ एक ही कार में बैठकर समिट में एंट्री मारी. सोशल मीडिया पर ये तस्वीर वायरल हो रही है. लेकिन असली खेल तो अंदर हुआ. पीएम मोदी ने अपने भाषण में सीधे पहलगाम का जिक्र किया, “भारत सालों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है. पहलगाम में जो हुआ, वो सिर्फ भारत पर नहीं, पूरी दुनिया की शांति पर हमला था. क्या कुछ देश आतंकवाद को हथियार की तरह इस्तेमाल करेंगे और हम चुप रहेंगे? नहीं, हमें साफ कहना होगा कि आतंकवाद का कोई बहाना नहीं.”

ये शब्द सुनकर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ की कुर्सी हिल गई होगी, जो वहां बैठे थे. और फिर आया वो पल, जिसने इतिहास रच दिया. SCO ने ‘तियानजिन डिक्लेरेशन’ जारी किया, जिसमें पहलगाम हमले की साफ-साफ निंदा की गई. लिखा गया, “हम पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं. शहीदों के परिवारों के साथ हमारी संवेदनाएं हैं. आतंकियों, उनके आयोजकों और प्रायोजकों को सजा मिलनी चाहिए. क्रॉस-बॉर्डर टेररिज्म को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे.” ये पहली बार था जब SCO ने इतनी सख्ती से क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद की बात की. चीन, रूस और ईरान, सब भारत के साथ खड़े दिखे.

ये जीत इतनी बड़ी क्यों?

शहबाज शरीफ अकेले पड़ गए. X पर उनके पुतिन से जल्दबाजी में मिलने की तस्वीरें वायरल हैं, लेकिन भारत ने उनकी सारी चालें फेल कर दीं. मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात में सीमा पर शांति और ट्रेड की बात हुई. चीन ने आतंकवाद पर सहयोग का वादा किया, जो भारत के लिए बड़ी बात है. पुतिन के साथ मोदी की कार ड्राइव और बातचीत ने भारत-रूस दोस्ती को और मजबूत किया. पुतिन ने भी पश्चिमी देशों की आलोचना की, जो भारत की ‘सबसे दोस्ती, किसी से दुश्मनी नहीं’ वाली नीति से मेल खाता है.

SCO ने साइबर आतंकवाद और कट्टरपंथ पर भी बात की. भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति ने ऑपरेशन सिंदूर को सही ठहराया. भारत ने ना सिर्फ अपनी बात मनवाई, बल्कि दुनिया को दिखा दिया कि आतंकवाद के खिलाफ हम डटकर मुकाबला करेंगे. राजनाथ सिंह ने जून में जो बीज बोया, उसे मोदी ने समिट में फल में बदल दिया.

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