PM Modi Visit: उत्तर भारत के कई राज्य इस समय भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में हैं. इस बारिश और बाढ़ ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है. दिल्ली में यमुना नदी खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही है, जिससे राष्ट्रीय राजधानी में ‘जल प्रलय’ जैसे हालात बन गए हैं. मयूर विहार, अक्षरधाम और यहां तक कि सचिवालय जैसे इलाकों में पानी घुस गया है. दूसरी ओर, पंजाब में सदी की सबसे भयावह बाढ़ ने 2000 से अधिक गांवों को जलमग्न कर दिया है, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं.
इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही अब बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा कर हालात का जायजा लेंगे और राहत कार्यों की समीक्षा करेंगे.
बाढ़ से प्रभावित हुए राज्यों का दौरा करेंगे पीएम मोदी, स्थिति की करेंगे समीक्षा #PMModi #Flood #FloodRelief pic.twitter.com/IzmSpsoppX
— Vistaar News (@VistaarNews) September 5, 2025
पीएम मोदी का दौरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा जैसे बाढ़ प्रभावित राज्यों का दौरा करेंगे. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब कई राज्य सरकारों ने केंद्र से वित्तीय सहायता की मांग की है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में पंजाब के प्रभावित इलाकों का दौरा किया और केंद्र की ओर से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. पीएम मोदी के दौरे से राहत और पुनर्वास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार राज्य सरकारों और राहत एजेंसियों के साथ समन्वय बनाकर आपदा प्रबंधन को मजबूत करने पर जोर दे रही है.
दिल्ली में यमुना का रौद्र रूप
दिल्ली में यमुना नदी के उफान ने मयूर विहार, अक्षरधाम और मॉनेस्ट्री मार्केट जैसे इलाकों को जलमग्न कर दिया है. यह इलाके नदी के किनारे से 3-4 किलोमीटर दूर हैं. सचिवालय तक पानी पहुंचने से प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हुआ है. निचले इलाकों में हालात बदतर हैं, जहां लोगों को बचाने के लिए नावों का सहारा लिया जा रहा है. राहत शिविरों में भी पानी घुसने से प्रभावित लोगों की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. दिल्ली के जल संसाधन मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि कुछ इलाकों में जलभराव से यह नहीं माना जा सकता कि पूरी दिल्ली डूब गई है, लेकिन हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है.
पंजाब में 3.84 लाख लोग प्रभावित
पंजाब में सतलुज, ब्यास, और रावी नदियों के उफान ने 23 जिलों के 2000 गांवों को पानी में डुबो दिया है. इस आपदा को 1988 के बाद की सबसे भयावह बाढ़ माना जा रहा है. लगभग 3.84 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, और 1.71 लाख हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. गुरदासपुर, कपूरथला, फिरोजपुर और फाजिल्का जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. सेना, NDRF और स्थानीय प्रशासन ने अब तक 20,972 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है, लेकिन 43 लोगों की मौत हो चुकी है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये के रुके हुए फंड को जारी करने और किसानों को 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की है.
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इस बाढ़ के लिए जलवायु परिवर्तन और खराब ड्रेनेज सिस्टम मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं. हिमालयी क्षेत्र में बादल फटने और मॉनसून के बदलते पैटर्न ने बारिश की तीव्रता को बढ़ा दिया है. पोंग, भाखड़ा और रंजीत सागर जैसे डैमों से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण भी स्थिति बिगड़ी है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि शहरी नियोजन में कमी और डूब क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण ने दिल्ली और पंजाब में जलभराव की समस्या को और गंभीर कर दिया है.
