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चारों ओर छाए थे संकट के बादल, फिर दिल्ली से गुजरात जाकर संभाली CM की कुर्सी, PM मोदी की ‘पहली शपथ’ की अनकही कहानी

PM Modi

जब पीएम मोदी ने पहली बार सीएम के रूप में ली थी शपथ

PM Modi: आज ही के दिन 2001 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार शपथ ली थी. अब 24 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने उस पल को याद करते हुए कुछ पुरानी तस्वीरें साझा की हैं. ये तस्वीरें सिर्फ एक समारोह की नहीं, बल्कि एक ऐसे सफर की कहानी बयां करती हैं, जो 24 सालों से लगातार जनता की सेवा में समर्पित है. आइए जानते हैं कि कैसे पीएम मोदी दिल्ली से गुजरात पहुंचे थे और पहली बार सीएम पद की शपथ ली थी.

जब नरेंद्र मोदी ने बदला शपथ का अंदाज

साल 2001 में गुजरात कई मुश्किलों से जूझ रहा था. भूकंप, चक्रवात, सूखा और राजनीतिक अस्थिरता ने राज्य को हिलाकर रख दिया था. ऐसे में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने केशुभाई पटेल की जगह नरेंद्र मोदी को कमान सौंपने का फैसला किया. लेकिन नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ जिम्मेदारी संभाली, बल्कि शपथ समारोह को भी अनोखा बना दिया. आमतौर पर शपथ समारोह राजभवन की चारदीवारी में होते थे, लेकिन मोदी ने इसे जनता के बीच ले जाने का फैसला किया. गांधीनगर के सेक्टर 17 में टाउन हॉल कॉम्पलेक्स के खुले मैदान में हजारों लोगों की मौजूदगी में उन्होंने शपथ ली.

तत्कालीन एडीसी डीजी वंजारा एक मीडिया चैनल को बताते हैं, “मैं उस समारोह का हिस्सा था. नरेंद्र भाई की शपथ जनता के बीच हुई और उनका उत्साह देखते ही बनता था. ये एक ऐसा पल था, जो आज भी मेरे जेहन में ताजा है.”

चुनौतियों से भरा था गुजरात का वो दौर

जब नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, तब गुजरात संकटों से घिरा था. जनवरी 2001 में आए भूकंप ने हजारों जिंदगियां छीन ली थीं और लाखों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था. चक्रवात और सूखे ने हालात को और मुश्किल बना दिया था. ऊपर से राजनीतिक अस्थिरता ने गुजरात को डगमगाने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन नरेंद्र मोदी ने इन चुनौतियों को एक अवसर में बदला. उन्होंने लिखा, “संकटों ने हमारा हौसला नहीं तोड़ा, बल्कि एक सशक्त और समृद्ध गुजरात बनाने की प्रेरणा दी.”

शपथ के बाद का वो खास लंच

शपथ समारोह के बाद का एक और दिलचस्प किस्सा सामने आता है. गुजरात में पांच मुख्यमंत्रियों के साथ काम कर चुके रिटायर्ड IAS अधिकारी पीके लहरी एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहते हैं कि शपथ के बाद केशुभाई पटेल ने अपने घर पर लंच का आयोजन किया था. लंच के बाद नरेंद्र मोदी ने तुरंत मंत्रिमंडल की पहली बैठक बुलाई और काम शुरू कर दिया. लहरी कहते हैं, “मोदी जी उस वक्त विधायक नहीं थे, लेकिन उनकी संगठनात्मक क्षमता और नेतृत्व का लोहा सभी मानते थे.”

मुख्यमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी राजकोट से विधायक बने, जहां वजुभाई वाला ने उनके लिए अपनी सीट खाली की थी. ये वो दौर था, जब मोदी ने अपनी मेहनत और विजन से गुजरात को एक नई दिशा दी.

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24 साल बाद भी वही जोश

आज, 24 साल बाद नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, “इन वर्षों में हर पल मैंने जनता-जनार्दन की सेवा में समर्पित किया. ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आपका प्यार और आशीर्वाद मिला.” अगले साल 7 अक्टूबर को वह संवैधानिक पद पर 25 साल पूरे करेंगे, जो भारतीय लोकतंत्र में एक दुर्लभ उपलब्धि है.

चश्मदीदों की जुबानी

तत्कालीन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणा बताते हैं, “मोदी जी दो दिन पहले दिल्ली से आए थे. उन्होंने नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और फिर शपथ समारोह हुआ. उनका आत्मविश्वास और संगठन से परिचय सभी को प्रभावित करने वाला था.”

पीएम नरेंद्र मोदी का ये सफर सिर्फ एक नेता का नहीं, बल्कि एक ऐसे शख्स का है, जिसने हर मुश्किल को अवसर में बदला. गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के प्रधानमंत्री तक, उनका हर कदम जनता की भलाई के लिए रहा. पीएम मोदी आज भी लगातार जनता की सेवा में जुटे हुए हैं.

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