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बिहार फतह के बाद बड़ी जिम्मेदारी का इंतजार कर रहे केशव प्रसाद मौर्य?

Keshav Prasad Maurya

केशव प्रसाद मौर्य व अमित शाह

Keshav Prasad Maurya: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव समय-समय पर टलता रहा है. पहले अलग-अलग प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा हुई, तो खबरें आने लगी थीं कि जल्दी ही अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी. हालांकि, बिहार चुनावों तक ये प्रक्रिया टल गई. अब जबकि, बिहार चुनाव समाप्त हो गया है और एनडीए की सरकार भी बन गई है, ऐसे में बीजेपी के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर हलचल बढ़ने लगी है. इस रेस में एक चेहरा तेजी से उभर रहा है जो हाल में ही खत्म हुए बिहार चुनाव में बार-बार नजर आता रहा है.

यूपी के डिप्टी सीएम और बिहार में सह-प्रभारी की भूमिका में रहे केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा ने विधानमंडल का नेता चुनने के लिए पर्यवेक्षक भी नियुक्त किया था. बिहार चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद जिस तरह से केशव प्रसाद मौर्य ने सभी चीजों को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराया, उसके बाद हलचल बढ़ी हुई है. दरअसल, चुनाव बाद ऐसी खबरें आने लगी थीं कि बीजेपी अपना सीएम बना सकती है. उधर जेडीयू और अन्य सहयोगी दल नीतीश कुमार के नाम पर अड़े थे. ऐसे में बिना किसी टकराव के, बिना किसी हो-हल्ला के मौर्य ने जिस तरह से सारी चीजों को मैनेज किया, उसके बाद उनके कद में इजाफा होना लाजिमी था.

शाह के बेहद करीबी हैं मौर्य

केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी वर्ग के कद्दावर नेता हैं और गृह मंत्री अमित शाह के बेहद करीबी माने जाते हैं. एक कार्यक्रम में अमित शाह ने केशव प्रसाद मौर्य को अपना दोस्त भी बताया था. ऐसे में अब इस ‘दोस्त’ के राजनीतिक कद को लेकर कानाफुसी तेज हो गई है. सियासी गलियारों में तो इस बात की भी चर्चा होने लगी है कि क्या केशव प्रसाद को राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है? हालांकि, अभी ये बहुत शुरुआती चरण है लेकिन ऐसी चर्चाएं पहले भी हो चुकी हैं.

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संघ से जुड़ाव और दिल्ली से नजदीकी

इस चर्चा के पीछे बड़ी वजह एक और है कि संघ से उनका लंबे समय से जुड़ाव रहा है और वीएचपी से भी करीबी रही है. मौर्य का अक्सर-दिल्ली आना-जाना लगा रहता है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से टकराव की खबरों के बीच भी वे अक्सर दिल्ली में दिखाई देते थे और शीर्ष नेतृत्व के संपर्क में बने हुए थे. उस वक्त भी चर्चाएं थीं कि क्या शीर्ष नेतृत्व टकराव रोकने के लिए केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली बुला सकता है. हालांकि, टकराव की बातें केशव प्रसाद मौर्य ने कभी स्वीकार नहीं की हैं लेकिन, अलग-अलग समय पर उनका स्टैंड सीएम योगी से अलग रहा है.

बिहार चुनाव में निभाई बड़ी भूमिका

केशव प्रसाद मौर्य का नाम तेजी से उभरने के पीछे कुछ वजहें और भी हैं. जानकारों का मानना है कि बिहार के चुनावों में मिली प्रचंड में जीत में OBC-EBC वोटर्स की बड़ी भागीदारी रही. इस वर्ग के वोटर्स को एकजुट करने में केशव प्रसाद मौर्य ने बड़ी भूमिका निभाई. ओबीसी-ईबीसी वोट को एकजुट करने के लिए रणनीति बनाना, बिहार में दर्जनों चुनावी रैलियां करना और आखिर में पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी बखूरी निभाना…ये ऐसे कुछ कारण हैं जिनके बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि केशव प्रसाद मौर्य के कद को बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, अब ये कद राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर होगा, या कोई और बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी…या फिर अभी जस की तस वाली स्थिति बनी रहेगी, इसको लेकर आने वाले दिनों में तस्वीर कुछ और साफ हो सकती है.

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