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हमीरपुर जेल में पिटाई से कैदी की मौत, पान मसाला के ज्यादा पैसे मांगने का कर रहा था विरोध, परिवार ने लगाए हत्या के आरोप

Hamirpur jail

हमीरपुर जेल

रिपोर्ट- शिवम सिंह

Hamirpur News: हमीरपुर जेल के अंदर एक बंदी को बेरहमी से पीटा गया. जिससे उसकी मौत हो गई. उसके पूरे शरीर पर चोटों के निशान मिले हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में पांच-छह चोटों के निशान का जिक्र है, लेकिन अभी मौत का कारण स्पष्ट नहीं है. घटना शनिवार को हुई थी, लेकिन उसका इलाज नहीं कराया गया. जिसके बाद रविवार दोपहर उसने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि सोमवार को उसकी जमानत पर सुनवाई होनी थी.

अन्य बंदियों ने मुलाकात करने आए स्वजनों को बताया कि पान मसाला के ज्यादा रुपये मांगने का विरोध करने पर कैंटीन संचालक ने जेलकर्मियों की मदद से नंबरदारों (पुराने सजायाफ्ता कैदी) से पिटवाया था. वह रातभर तड़पता रहा. कोर्ट आए कुछ बंदियों-कैदियों का एक वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर प्रचलित है, जिसमें वे नंबरदारों द्वारा पिटाई की बात कह रहे हैं और जेल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की है. इनमें कुछ बंदियों-कैदियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पत्र लिखकर जेलर जेपी चंदेला और डिप्टी जेलर संगेश कुमार पर पिटाई करने का आरोप लगाया है. डीजी जेल पीसी मीना ने डिप्टी जेलर संगेश कुमार व जेल वार्डन अनिल कुमार यादव को निलंबित कर दिया है.

बंदी के स्वजनों ने सोमवार को जेल के बाहर जाम लगा दिया. देर रात तक वे जेल अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कराने की बात पर अड़े थे और शव नहीं लिया. एसपी डॉ. दीक्षा शर्मा ने बताया कि तहरीर नहीं मिली है. जेल अधीक्षक मंजीव विश्वकर्मा ने बताया कि वह अवकाश पर हैं. बंदी शराब का लती था और न मिलने पर हंगामा कर रहा था. इसी बात पर बैरक में कुछ लोगों से विवाद हो गया. जेल लाते समय मेडिकल में उसके शरीर पर कुछ चोटें मिली थीं. इस मामले में डीएम घनश्याम मीना ने कहा कि न्यायिक जांच होगी.

33 वर्षीय अनिल कुमार द्विवेदी पर 2015 में पड़ोसी ने मारपीट, गाली-गलौज और एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था. मुकदमे में अनिल को तिवारी लिखा गया था. अनिल के पिता कृष्ण द्विवेदी दिल्ली में मजदूरी करते हैं. जिसके बाद अनिल भी वहीं गार्ड की नौकरी करने लगा. तारीखों पर कोर्ट में हाजिर न होने पर उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो गया. पत्नी पूजा ने बताया कि 10 सितंबर को पति दिल्ली से आए और दूसरे दिन कोर्ट में हाजिर हुए थे. फिर उन्हें जेल भेज दिया गया था.

12 सितंबर को वह पति से मिलने जेल पहुंचीं और खर्चे के लिए 6500 रुपये दिए थे. शनिवार को जेल में बंद उनके रिश्तेदार राहुल पांडेय जमानत पर रिहा हुए तो उन्होंने अनिल की हालत खराब होने की जानकारी दी. वह रविवार को जेल पहुंचीं, लेकिन पति से मिलने नहीं दिया गया. दोपहर बाद करीब तीन बजे जेल से पति की मौत की सूचना मिली.

सोमवार सुबह परिवार के लोग मोर्चरी पहुंचे तो पुलिसकर्मियों ने शव नहीं दिखाया. इस पर उन्होंने दोपहर करीब 12 बजे जेल के बाहर जाम लगा दिया. सदर विधायक डॉ. मनोज प्रजापति ने करीब पौन घंटे बाद जाम खुलवाया. पोस्टमार्टम हाउस में स्वजन ने अनिल के शरीर पर चोटें देखीं तो हंगामा शुरू कर दिया. पोस्टमार्टम में मौत का कारण स्पष्ट नहीं होने से हृदय व बिसरा सुरक्षित कर जांच के लिए झांसी भेजा गया है.

मृतक अनिल द्विवेदी की पत्नी पूजा द्विवेदी ने जेल अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर समेत पुलिसकर्मियों और नंबरदारों पर पीट-पीट कर हत्या करने का सीधा आरोप लगाया है. पूजा द्विवेदी ने सदर कोतवाली पुलिस में तहरीर भी दी है. इधर पीड़ित परिवार के साथ अब ब्राह्मण महासभा भी खड़ी हो गई है, जो चीख-चीख कर जेल प्रशासन पर आरोप लगा रही है कि अनिल द्विवेदी की जेल में पीट-पीट कर हत्या की गई है, जिसकी उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग उठाई जा रही है.

बंदियों-कैदियों ने मुख्यमंत्री को भेजा शिकायती पत्र

कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे बंदियों और कैदियों ने जेल की बदहाल व्यवस्थाओं की पोल खोलते हुए मुख्यमंत्री के अलावा कारागार मंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग दिल्ली, डीजीपी लखनऊ, राज्य मानवाधिकार आयोग लखनऊ और जिले के डीएम और एसपी को रजिस्ट्री के माध्यम से शिकायती पत्र भेजा है. उन्होंने बताया है कि अनिल द्विवेदी की जेल के भीतर पीट-पीट कर हत्या की गई है.

डिप्टी जेलर और जेल वार्डन निलंबित किए गए

जेल में हुई कैदी अनिल द्विवेदी की मौत के मामले का डीजी जेल पीसी मीना ने संज्ञान लिया है. उन्होंने डिप्टी जेलर संगेश कुमार व जेल वार्डन अनिल कुमार यादव को निलंबित किया है और मामले की जांच शुरू करा दी है. जांच के बाद और भी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही हो सकती है.

आइए जानते हैं क्या बताते हैं हमारे जानकार

जानकार बताते हैं कि जेल के अंदर बंदियों और कैदियों को मनमानी दामों में सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. जेल के भीतर बीड़ी, सिगरेट, गुटखा, शराब, गांजा, मोबाइल फोन की व्यवस्था के अलावा और भी बहुत सी सुविधाएं मिलने का हमारे सूत्रों ने दावा किया है. अब सवाल तो यह भी है कि प्रतिबंध के बाद भी जेल के भीतर इतनी सारी व्यवस्थाएं मिल पाना आखिर कैसे संभव है? किसकी सांठगांठ से जेल के भीतर ये सब खेल चल रहा है? बताया जाता है कि जेल में बंद पुराने सजायाफ्ता कैदी जिन्हें जेल के भीतर नंबरदारों की उपाधि मिली हुई है, उनकी ही जेल के भीतर तूती बोलती है. इनके इशारों पर ही यहां सब कामकाज होते हैं. इनकी मर्जी न हो तो जेल के भीतर एक पत्ता भी नहीं हिल सकता.

सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि जेल का जब उच्चाधिकारी निरीक्षण करने पहुंचते हैं उससे पहले ही जेल प्रशासन तक इसकी खबर पहुंच जाती है. उच्चाधिकारियों के जेल आने-जाने पर नजर रखने के लिए जेल प्रशासन ने अपने गुप्तचर लगा रखे हैं. जैसे ही निरीक्षण को पहुंचने वाले उच्चाधिकारियों की सूचना जेल प्रशासन तक पहुंचती है, वैसे ही जेल के भीतर की सभी व्यवस्थाएं चौकस कर दी जाती हैं.

महंगे दामों में मिलती हैं जेल के भीतर कैदियों की मनमानी व्यवस्थाएं

जानकार बताते हैं कि जेल के भीतर 10 रुपये की चीज के 100 रुपये कैदियों-बंदियों को चुकाने पड़ते हैं. मनमानी कीमत दो और जो जी चाहे जेल के भीतर पाओ. सही कहा है बुजुर्गों ने “ईसा पीर न मूसा पीर सबसे बड़ा है पैसा पीर.” पैसा है तो ये मानो आपको जेल के भीतर जन्नत का मजा मिलने वाला है.

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2018 में जेल के भीतर पांच कैदियों की मुर्गा बनाकर की गई थी पिटाई

2018 में जेल के भीतर बार-बालाओं का डांस कराया गया था, जिसकी शिकायत कैदियों ने जेल का निरीक्षण करने पहुंचे उच्चाधिकारियों से की थी. जिससे नाराज हुए जेल अधीक्षक ने पांच कैदियों को अपने ऑफिस बुलाकर पट्टे से पीटा था. जिसका वीडियो भी लीक होकर इंटरनेट पर वायरल हुआ था. वायरल वीडियो में जेल अधीक्षक के अलावा दो नंबरदार भी कैदियों को बुरी तरह पीटते दिखे थे. वीडियो वायरल होने के बाद जेल प्रशासन में खलबली मच गई थी.

2024 में कैदी ने रसोईघर में फांसी लगाकर दी थी जान

बीते 22 अगस्त 2024 में जिले के कुरारा थानाक्षेत्र के शिवनी गांव निवासी विचाराधीन बंदी 50 वर्षीय नफीस उर्फ पप्पू ने जेल के भीतर बने रसोईघर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. मामले में जेल अधीक्षक जीआर वर्मा को हटाया गया था.

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