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वोटर अधिकार यात्रा के बाद बिहार नहीं गए राहुल, अब महागठबंधन के पोस्टर से भी ‘गायब’, आखिर क्या है कांग्रेस की रणनीति?

Rahul Gandhi

कांग्रेस नेता राहुल गांधी

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सभी पार्टियों के नेता एक-दूसरे के ऊपर आरोप प्रत्यारोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसी बीच पटना में 23 अक्टूबर को महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई, जिसके पोस्टर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी ही गायब दिखे. इस पोस्टर ने अब बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है. राहुल गांधी की पोस्टर से फोटो क्यों गायब हुई, इसके पीछे कांग्रेस की क्या रणनीति है? ये समझना जरूरी है.

बिहार नहीं जाने पर भी उठ रहे सवाल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा के बाद से बिहार नहीं गए, अब इसके भी कई मायने निकाले जा रहे हैं. यात्रा के बाद पहले तो राहुल गांधी विदेश दौरे पर रहे लेकिन कुछ ही दिनों बाद वापस भारत लौट आए. इसके बावजूद भी बिहार दौरे पर नहीं गए. हालांकि राहुल गांधी के बिहार यात्रा पर नहीं जाने की कोई खास वजह सामने नहीं आई है. माना जा रहा है कि छठ पर्व के बाद राहुल गांधी बिहार में विधानसभा चुनाव की रैलियों में नजर आएंगे.

बिहार से दूरी क्या हो सकती है वजह?

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस नेतृत्व चाहता था कि पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के लिए मजबूती के साथ सामने आए और आरजेडी समेत सभी महागठबंधन में शामिल दलों से खुलकर बात करे. हालांकि राहुल गांधी ने इस पर भी खुलकर अपनी कोई बात नहीं रखी. माना जा रहा है कि राहुल गांधी और लालू परिवार के बीच कोई मनमुटाव हो सकता है, इसी वजह से राहुल ने कुछ समय के लिए बिहार से दूरी बनाई है.

सीएम फेस नहीं घोषित करना चाहती थी कांग्रेस

बिहार में महागठबंधन तेजस्वी को मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं घोषित करना चाह रही थी. कांग्रेस को लगता था कि तेजस्वी के सीएम फेस की घोषणा होते ही एनडीए, महागठबंधन पर हमलावर हो जाता. इसलिए कांग्रेस ने सीएम फेस के ऐलान को टालने का काफी प्रयास किया. कांग्रेस को लगता था कि इससे जातिगत ध्रुवीकरण को चुनाव में बढ़ावा मिल सकता था. राहुल गांधी अगर बिहार की चुनावी यात्रा में शामिल होते तो उनसे भी सीएम फेस को लेकर सवाल-जवाब किए जाते. शायद यह भी एक वजह हो सकती है.

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क्या है असली वजह?

बिहार में महागठबंधन बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ना चाह रहा था, लेकिन तेजस्वी इसके लिए राजी नहीं हो रहे थे. क्योंकि उनको इस बात की चिंता थी कि महागठबंधन दल उनका चेहरा सीएम के लिए घोषित करेगा भी या नहीं. वहीं आरजेडी का मानना है कि अगर तेजस्वी को सीएम फेस के रूप में सामने लाया जाता है तो पिछड़ी जातियों को साधने में मदद मिलेगी. ऐसे में अगर राहुल गांधी बिहार में चुनाव प्रचार के लिए आते तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी सीएम फेस की घोषणा करना. राहुल गांधी के पटना न पहुंचने की सबसे बड़ी वजह यही मानी जा रही है.

महागठबंधन दल में किसी प्रकार का गलत संदेश न जाए, इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और सीनियर कांग्रेस नेता अशोक गहलोत को भेजा.

उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार के नाम पर भी नहीं थी सहमति

चर्चा यह भी है कि कांग्रेस पार्टी ने उपमुख्यमंत्री के ऐलान को लेकर कहा था कि महागठबंधन में कोई भी दल या नेता उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार पद का ऐलान नहीं करेगा. लेकिन इससे बावजूद भी तेजस्वी यादव वीआईपी पार्टी के मुखिया मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम बनाने का भरोसा दिया. इसके लिए तेजस्वी, कांग्रेस पार्टी के सामने अड़े हुए थे. कई बार कांग्रेस पार्टी को तेजस्वी का अड़ियल रवैया भी देखने को मिला. हालांकि, पटना में हुई पीसी में तेजस्वी को सीएम और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का फेस बनाने का ऐलान हो चुका है. ये ऐलान अशोक गहलोत की मौजूदगी में हुआ.

सीट बंटवारे में भी दिखा मतभेद

कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि महागठबंधन दल में शामिल पार्टियों के प्रमुख से उसकी मजबूत सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए बातचीत की जाए, ताकि कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीट जीतने में मदद मिल सके. इसी वजह से कांग्रेस ने तेजस्वी के सीएम फेस को लेकर ऐलान टालने का भरपूर प्रयास किया. हालांकि राहुल गांधी दिल्ली से ही पूरे मामले की निगरानी कर रहे थे और प्रत्येक सीट की लगातार अपडेट ले रहे थे. राहुल गांधी का सबसे ज्यादा फोकस है कि कांग्रेस का प्रदर्शन और स्ट्राइक रेट बिहार चुनाव में बेहतर हो सके. इसके लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली गई है और छठ पर्व के बाद बिहार में राहुल गांधी चुनाव प्रचार में पूरे दमखम के साथ दिखाई दे सकते हैं.

दरअसल, बिहार में 1990 के बाद से ही कांग्रेस कभी भी अपनी जमीन को मजबूत करने का साहस नहीं जुटा पाई है, जिसकी वजह से पार्टी के कार्यकर्ताओं में उदासी छाई हुई है. RJD भी कांग्रेस की इस कमजोरी को बखूबी पहचान रही है. इसलिए RJD दबाव की राजनीति करके इसका फायदा उठाना चाह रही है. हालांकि महागठबंधन में कौन सा दल किसका फायदा उठाएगा, यह तो परिणाम ही तय करेंगे. फिलहाल महागठबंधन पूरे दमखम के साथ बिहार में सरकार बनाने की तैयारी कर रही है.

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