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राजस्थान के इस अफसर ने लिखी भ्रष्टाचार की नई परिभाषा, पत्नी को दिलाई फर्जी नौकरी, बिना ड्यूटी पर गए उठाई 37 लाख की सैलरी

IT department officer and his wife

आईटी विभाग के अधिकारी और उनकी पत्नी

Rajasthan News: राजस्थान की राजधानी जयपुर से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जहां सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग (DOIT) के संयुक्त निदेशक प्रद्युम्न दीक्षित ने भ्रष्टाचार की नई मिसाल पेश कर दी. आरोप है कि अफसर ने अपनी पत्नी पूनम दीक्षित उर्फ पूनम पांडे को एक नहीं, बल्कि दो निजी कंपनियों में फर्जी नौकरी दिला दी और पांच साल तक बिना ड्यूटी पर गए हर महीने लगभग 1.60 लाख रुपये वेतन दिलाते रहे. इस तरह पूनम दीक्षित के पांच अलग-अलग बैंक खातों में करीब 37.54 लाख रुपये जमा हुए.

एसीबी को मिली गोपनीय शिकायत

मामले का खुलासा तब हुआ जब एसीबी को इस संबंध में एक गोपनीय शिकायत प्राप्त हुई. जांच के दौरान सामने आया कि पूनम दीक्षित के वेतन बिलों पर हर महीने उसके पति, यानी खुद संयुक्त निदेशक प्रद्युम्न दीक्षित के ही हस्ताक्षर होते थे. इन्हीं हस्ताक्षरों के आधार पर उनकी पत्नी के खातों में नियमित रूप से वेतन की राशि ट्रांसफर की जाती थी.

जांच में यह भी सामने आया कि प्रद्युम्न दीक्षित ने जिस निजी कंपनी ‘ऑरियन प्रो’ को सरकारी ठेकों में फायदा पहुंचाया, उसी कंपनी में अपनी पत्नी की फर्जी नियुक्ति करवा दी. यही नहीं, उन्होंने उसे एक अन्य कंपनी ‘ट्राइजेंट सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड’ में भी नौकरी दिलाई. दोनों कंपनियों में नाम के लिए नियुक्त रहने के बावजूद पूनम दीक्षित एक भी दिन दफ्तर नहीं गईं.

हाईकोर्ट ने दिए थे एफआईआर दर्ज करने के निर्देश

इस पूरे मामले की शिकायत राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका के रूप में दर्ज हुई थी. अदालत ने सितंबर 2024 में एसीबी को मामले की जांच कर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे. इसके बाद 3 जुलाई 2025 को परिवाद दर्ज किया गया और गहराई से जांच शुरू हुई. जांच में जब भ्रष्टाचार के स्पष्ट सबूत मिले, तो 17 अक्टूबर 2025 को प्रद्युम्न दीक्षित, उनकी पत्नी पूनम दीक्षित और विभाग के उपनिदेशक राकेश कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई.

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इस पूरे घोटाले ने सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहराई को उजागर कर दिया है, जहां एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न केवल सरकारी व्यवस्था को ठगा, बल्कि निजी कंपनियों के साथ मिलकर पांच साल तक सरकारी धन का खुला दुरुपयोग किया. मामले की जांच एसीबी के डिप्टी एसपी नीरज गुरनानी के नेतृत्व में जारी है.

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