नागपुर में एक किताब के लॉन्च इवेंट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कुछ ऐसा कहा, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी. उन्होंने कहा, “75 साल की उम्र हो जाए, तो किसी और को मौका देना चाहिए.” बस, ये एक लाइन सुनते ही हर तरफ चर्चा शुरू हो गई. लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं. कोई इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना बता रहा है, तो कोई इसे भागवत का अपने लिए लिया गया फैसला मान रहा है. आखिर क्या है इस बयान के पीछे की कहानी? चलिए, विस्तार से समझते हैं.
मोहन भागवत ने क्या-क्या कहा?
बात 10 जुलाई 2025 की है. नागपुर में एक किताब लॉन्च का कार्यक्रम चल रहा था. मंच पर थे मोहन भागवत, जिनकी बातें हमेशा सुर्खियां बनाती हैं. इस बार उन्होंने उम्र की बात छेड़ दी. उनका कहना था कि जब इंसान 75 साल का हो जाता है, तो उसे अपनी जिम्मेदारियां किसी और को सौंप देनी चाहिए. ये सुनते ही लोग चौंक गए, क्योंकि भागवत खुद सितंबर 2025 में 75 साल के होने वाले हैं. और हां, पीएम मोदी भी उसी महीने 75 साल के हो जाएंगे. बस, फिर क्या? सियासी पंडितों ने तो अपने-अपने हिसाब से बयान का मतलब निकालना शुरू कर दिया.
विपक्षी दलों को जैसे मौका मिल गया. कुछ नेताओं ने तुरंत इसे पीएम मोदी पर तंज के तौर पर देखा. सोशल मीडिया, खासकर X पर लोग लिखने लगे कि क्या भागवत ने मोदी जी को रिटायरमेंट का इशारा दे दिया? कोई बोला, “भागवत जी तो खुद भी 75 के हो रहे हैं, पहले अपनी कुर्सी छोड़ें.”
कांग्रेस और दूसरी पार्टियों ने इसे बीजेपी और RSS के बीच तनाव की नई कहानी के तौर पर पेश करना शुरू कर दिया. लेकिन सवाल ये है कि क्या ये बयान वाकई इतना सियासी था या फिर ये सिर्फ एक सामान्य बात थी, जिसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है?
भागवत के बयान के मायने
मोहन भागवत 2009 से आरएसएस के सरसंघचालक हैं. उनके नेतृत्व में संघ ने कई बड़े बदलाव देखे हैं. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब उनके बयान ने हंगामा मचाया हो. भागवत अक्सर ऐसी बातें कहते हैं, जो सामान्य लगती हैं, लेकिन गहरे अर्थ निकाले जाते हैं. इस बार भी कुछ लोग मानते हैं कि उनका ये बयान सिर्फ एक सलाह था, जो समाज के लिए थी, न कि किसी खास शख्स पर निशाना. फिर भी, ये बात सही है कि आरएसएस में उम्र को लेकर कुछ अनकहे नियम हैं. मसलन, बीजेपी में पहले 75 साल की उम्र के बाद नेताओं को बड़े पदों से हटने की परंपरा थी, जिसे बाद में बदला गया.
X पर इस बयान ने आग लगा दी है. कुछ यूजर्स ने लिखा, “क्या भागवत जी बीजेपी को संदेश दे रहे हैं कि अब नई पीढ़ी को मौका दो?” एक यूजर ने तो मजाक में लिखा, “75 साल में रिटायरमेंट? तो फिर भागवत जी, आप कब कुर्सी छोड़ रहे हैं?” दूसरी तरफ, कुछ लोगों ने इसे सामान्य सलाह बताया और कहा कि इसे सियासत से जोड़ना गलत है. इन सबके बीच, बीजेपी और आरएसएस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिसने रहस्य को और गहरा कर दिया.
क्या है असली माजरा?
क्या मोहन भागवत का बयान वाकई पीएम मोदी के लिए था? सच तो ये है कि भागवत के बयान का सही मतलब वही जानते हैं. लेकिन इतना तय है कि ये बयान आने वाले दिनों में और चर्चा बटोरेगा. अगर भागवत खुद 75 की उम्र में पद छोड़ते हैं, तो ये आरएसएस के लिए एक बड़ा बदलाव होगा. और अगर ऐसा नहीं हुआ, तो विपक्ष को एक और मौका मिलेगा बीजेपी पर तंज कसने का.
