Sonam Wangchuk: लद्दाख हिंसा मामले में पर्यावरण एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को शुक्रवार को लद्दाख पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन्हें गिरफ्तार करके सबसे पहले दिल्ली लाया गया. इसके बाद उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच राजस्थान की जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया. केंद्र सरकार ने उन पर लद्दाख में नेपाल का जेन-जी आंदोलन और अरब स्प्रिंग का जिक्र करके युवाओं को भड़काने का आरोप लगाया था.
24 सीसीटीवी से होगी निगरानी
वांगचुक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उन्हें दिल्ली से जोधपुर लाने के बाद मेडिकल जांच की गई. इसके बाद सोनम को हाई सिक्योरिटी के बीच जेल में रखा गया है. यहां 24 घंटे सुरक्षा और सीसीटीवी से निगरानी की जाएगी.
क्या है पूरा घटनाक्रम?
सोनम वांगचुक शुक्रवार को दोपहर करीब दोपहर 2.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले थे. आयोजक और लोग उनका इंतजार करते रहे. बाद में पता चलता है कि लद्दाख पुलिस ने उन्हें उल्याकटोपो गांव से गिरफ्तार कर लिया है. इसकी अगुवाई डीजी एसडी सिंह जमवाल ने की थी.
उमर अब्दुल्ला ने सरकार पर साधा निशाना
लद्दाख में हुई हिंसा और वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मैंने लद्दाख की हिंसा को कभी सही नहीं ठहराया. मैं लद्दाख का उप राज्यपाल नहीं हूं, ना ही ये मेरी जिम्मेदारी है. लेकिन सरकार पहले बताए कि लद्दाख के लिए जो वादे किए थे, वो पूरे क्यों नहीं किए. भाजपा की क्या मजबूरी है. केंद्र सरकार वादे करके मुकर जाती है. जम्मू-कश्मीर की क्या गलती है. अभी तक पूर्ण राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिला?
क्या है लद्दाख हिंसा की पूरी कहानी?
सोनम वांगचुक ने 10 सिंतबर से 4 मांगों को लेकर भूख हड़ताल शुरू की. उनके इस कदम को बड़ी संख्या में लोगों का साथ मिला. ये चार मांगों- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, संविधान की 6वीं अनुसूची में शामिल करना, कारगिल और लेह को अलग-अलग लोकसभा बनाना और सरकारी नौकरियों में स्थानीय नागरिकों को प्राथमिकता शामिल हैं.
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24 सितंबर को लेह के NDS ग्राउंड में बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए. नारेबाजी करने लगे, इसके बाद ये विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल गया. गुस्साए लोगों बीजेपी दफ्तर और सीआरपीएफ की गाड़ी में आग लगा दी. पुलिस ने अनियंत्रित भीड़ को रोकने के लिए बल प्रयोग किया तो दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई. इसी बीच वांगचुक ने भूख हड़ताल खत्म कर दी.
सरकार ने आरोप लगाया कि सोनम वांगचुक ने युवाओं को समझाने की जगह एंबुलेंस से अपने गांव लौट गए. इसके साथ ही विदेशी फंडिंग की बात भी की थी.
