Hridaynath Mangeshkar Story: राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी संबोधन दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को लपेट लिया. उन्होंने लता मंगेशकर के भाई के साथ हुए सलूक को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और कांग्रेस पर भी निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा, “लता मंगेशकर का परिवार गोवा से है. लेकिन उनके परिवार के साथ जो हुआ, वह पूरे देश को बताया जाना चाहिए.” उन्होंने कहा, “लता मंगेशकर के छोटे भाई, गोवा के गौरवशाली बेटे पंडित हृदयनाथ मंगेशकर जी को ऑल इंडिया रेडियो (AIR) से निकाल दिया गया. उनका क्या दोष था? आइये पीएम मोदी ने संसद में ऐसा क्यों कहा, क्या है पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं.
जब चुराए गए युवा संगीतकार के सपने!
यह कहानी एक भावुक यात्रा की है, जिसमें संगीत, राजनीति, और संघर्ष के अनगिनत धागे जुड़े हुए हैं. यह उस समय की है जब एक युवा संगीतकार के सपने अचानक चुराए गए और एक बड़े परिवार के इतिहास में एक ऐसा मोड़ आया जिसे आज भी लोग याद करते हैं. यह कहानी है लता मंगेशकर के छोटे भाई हृदयनाथ मंगेशकर की, जिनका नाम न केवल संगीत के लिए जाना जाता है, बल्कि एक विवादास्पद घटना ने उन्हें राजनीति के जटिल और कड़े रास्तों पर खड़ा कर दिया.
एक सपना, एक नौकरी
हृदयनाथ मंगेशकर का सपना छोटा सा था—किसी बड़े रेडियो स्टेशन में संगीतकार बनने का. 17 साल की उम्र में उन्हें ऑल इंडिया रेडियो में नौकरी मिल गई, और 500 रुपये मासिक वेतन उनके लिए किसी ख्वाब से कम नहीं था. हृदयनाथ ने आकाशवाणी में अपनी शुरुआत उस समय के महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की कविता पर संगीत तैयार करने से की. सावरकर का नाम उस समय भारतीय राजनीति में विवादास्पद था, खासकर गांधी जी की हत्या के बाद. फिर भी, हृदयनाथ को इस काव्य को संगीतबद्ध करने में कोई संकोच नहीं हुआ.
जब हृदयनाथ का हुआ राजनीतिक तूफान से सामना
लेकिन हृदयनाथ का यह सपना बहुत जल्द ही चकनाचूर हो गया. जब उन्होंने सावरकर की कविता पर संगीत तैयार किया, तो उन्हें ऑल इंडिया रेडियो से अचानक नौकरी से निकाल दिया गया, और यह घटना महज एक नौकरी से निकालने तक सीमित नहीं रही. हृदयनाथ को धमकियां मिलने लगीं. वह कहते हैं कि उन्हें सावरकर के घर जाने और उनके विचारों को समर्थन देने के कारण पुलिस के मुखबिरों से धमकियां मिली थीं. एक रात उन्हें हिरासत में भी ले लिया गया और डराया-धमकाया गया. उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे. दावा किया जाता है कि हृदयनाथ को नौकरी से निकालने के पीछे उनका ही हाथा था, और इसी घटना का जिक्र आज पीएम मोदी ने भी किया है.
लता मंगेशकर ने किया सावरकर का समर्थन
हृदयनाथ के साथ यह अत्याचार हुआ. लेकिन लता मंगेशकर ने भारतीय संगीत की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई. लता कभी भी सावरकर और उनके विचारों के खिलाफ नहीं रही. उन्होंने सावरकर के विचारों का समर्थन किया और उनका हमेशा आदर किया.
1950 के दशक में जब लता मंगेशकर का करियर ऊंचाई पर था, तो उन्होंने सावरकर के विचारों के साथ जुड़ने की कोशिश की. हालांकि, सावरकर ने उन्हें अपनी गायन कला पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी. यह वह समय था जब लता मंगेशकर और सावरकर के बीच एक गहरा संबंध बन चुका था. लता मंगेशकर ने सावरकर की कविताओं को अपने गायन से लोकप्रिय किया, और उनके गीतों ने भारतीय संस्कृति में अपनी एक अलग पहचान बनाई.
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सावरकर से व्यक्तिगत संबंध और आदर
लता का सावरकर से गहरा व्यक्तिगत संबंध भी था, जो उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर के साथ जुड़ा हुआ था. सावरकर ने उनके पिता के लिए एक मराठी नाटक लिखा था, और इसके बाद लता नियमित रूप से सावरकर के घर जाती थीं. उनके लिए यह एक श्रद्धा का विषय था. लता ने खुद एक बार यह ट्वीट किया था कि सावरकर उनके लिए उनके पिता के समान थे, और उनके विचारों का सम्मान हमेशा किया.
संघर्ष और संगीत की अनकही कहानी
समय के साथ, हृदयनाथ मंगेशकर का संगीत भी लोगों के दिलों में गूंजने लगा. उन्होंने सावरकर की कविता ‘सागर प्राण तलमला’ पर संगीत तैयार किया था, जिसे लता और उनकी बहनों ने गाया. यह गीत महाराष्ट्र के सांस्कृतिक इतिहास का हिस्सा बन गया. लता ने सावरकर की एक और कविता ‘हिंदू नूरूसिन्हा प्रभो शिवाजी राजा’ को भी अपनी आवाज दी.
