Kandahar Hijack: 24 दिसंबर 1999, क्रिसमस की पूर्व संध्या. काठमांडू से दिल्ली जा रहा एयर इंडिया का विमान IC-814 आसमान में उड़ान भर चुका था. 180 यात्रियों और 11 क्रू मेंबर्स के साथ यह उड़ान सामान्य लग रही थी, लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया. पांच नकाबपोश आतंकियों ने विमान को हाईजैक कर लिया. इनका मकसद था, भारत की जेल में बंद आतंकी मसूद अजहर को रिहा करवाना.
विमान को पहले अमृतसर, फिर लाहौर और दुबई ले जाया गया, लेकिन अंत में यह अफगानिस्तान के कांधार हवाई अड्डे पर उतरा, जो उस समय तालिबान के कब्जे में था. आतंकियों ने यात्रियों को बंधक बना लिया और भारत सरकार पर दबाव डाला कि मसूद अजहर सहित तीन खूंखार आतंकियों को रिहा किया जाए. सात दिन तक चले इस ड्रामे में भारत सरकार को आखिरकार मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा करना पड़ा. बदले में, 31 दिसंबर 1999 को यात्रियों को सुरक्षित छुड़ाया गया.
लेकिन यह जीत नहीं, एक ऐसी हार थी, जिसका जख्म भारत के दिल में गहरा रहा. जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर रिहाई के बाद पाकिस्तान चला गया और वहां से भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की साजिश रचने लगा. संसद हमला (2001), पठानकोट हमला (2016), और पुलवामा हमला (2019) – इन सभी में उसका नाम सामने आया. कांधार हाईजैक की साजिश का केंद्र था बहावलपुर का ‘मरकज सुभान अल्लाह’, जहां आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई थी.
कौन था रऊफ अजहर?
अब्दुल रऊफ अजहर जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के संस्थापक मसूद अजहर का छोटा भाई था. वह जैश-ए-मोहम्मद का ऑपरेशनल हेड था और संगठन की आतंकी गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था. पाकिस्तान के बहावलपुर में जन्मा रऊफ अजहर भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों की साजिश में शामिल रहा.
1999 में हुए इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के कंधार हाईजैक में रऊफ अजहर की भूमिका मास्टरमाइंड के रूप में सामने आई थी. इस हाईजैक को हरकत-उल-मुजाहिदीन ने अंजाम दिया था, जिसमें विमान को काठमांडू से हाईजैक कर कंधार ले जाया गया. आतंकियों ने यात्रियों की रिहाई के बदले मसूद अजहर, मुश्ताक अहमद जरगर और उमर शेख जैसे आतंकियों को रिहा करने की मांग की थी.
25 साल बाद भारत का बदला
2025 में वक्त ने करवट ली. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले ने भारत को फिर से आगाह किया. इस हमले में आतंकियों ने 26 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया, खासकर हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया. महिलाओं के सामने उनके पतियों को गोली मारी गई, जिससे उनकी मांग का सिंदूर खून से रंग गया. इस क्रूरता ने पूरे देश को झकझोर दिया.
पीएम मोदी ने इस हमले के बाद साफ कहा था, “आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा और फिर शुरू हुआ ‘ऑपरेशन सिंदूर’. एक ऐसा सैन्य अभियान, जिसने पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर सबक सिखाया. 6-7 मई 2025 की रात, भारतीय वायुसेना, थलसेना और नौसेना ने मिलकर एक अभूतपूर्व ऑपरेशन को अंजाम दिया. सिर्फ 25 मिनट में पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को मिट्टी में मिला दिया गया.
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रऊफ अजहर का अंत
ऑपरेशन सिंदूर का सबसे बड़ा निशाना था बहावलपुर का मरकज सुभान अल्लाह. वही जगह, जहां 25 साल पहले कांधार हाईजैक की साजिश रची गई थी. यह जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ था, जहां मसूद अजहर अपने परिवार और करीबियों के साथ रहता था. भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों ने SCALP मिसाइलों और AASM हैमर बमों से इस ठिकाने को तबाह कर दिया.
खबरों के मुताबिक, इस हमले में मसूद अजहर के परिवार के 10 लोग और 4 करीबी सहयोगी मारे गए. कुछ सूत्रों का दावा है कि खुद मसूद अजहर भी इस हमले में ढेर हुआ, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि बाकी है. जैश-ए-मोहम्मद का हाई-फ्रीक्वेंसी कम्युनिकेशन नेटवर्क भी पूरी तरह नष्ट हो गया, जिससे संगठन की कमर टूट गई.
इस ऑपरेशन में कुल 70 से 100 आतंकी मारे गए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश के कई बड़े नाम शामिल थे. मुरीदके, सियालकोट, और चक अमरू जैसे ठिकानों को भी नेस्तनाबूद किया गया, जहां 26/11 जैसे हमलों की ट्रेनिंग दी जाती थी.
ऑपरेशन की प्लानिंग
इस ऑपरेशन की कमान थी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल के हाथों में, जिन्हें ‘संकटमोचन’ कहा जाता है. पहलगाम हमले के बाद डोवल ने खुफिया एजेंसियों और NTRO के साथ मिलकर पाकिस्तान के हाई-वैल्यू टेरर कैंप्स की पहचान की. 9 ठिकानों को चुना गया, जिनकी सैटेलाइट से निगरानी की गई. भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन को इतनी गोपनीयता से अंजाम दिया कि पाकिस्तान को भनक तक नहीं लगी. ड्रोन 100 किलोमीटर अंदर तक गए, टारगेट लॉक किए, और फिर राफेल जेट्स ने सटीक हमले किए. 25 मिनट में सब खत्म. जब पाकिस्तान को होश आया, तब तक जैश और लश्कर के ठिकाने राख में तब्दील हो चुके थे.
कांधार हाईजैक की साजिश रचने वाला मसूद अजहर और उसका आतंकी नेटवर्क आज भारतीय सेना की ताकत के सामने बेबस है. ऑपरेशन सिंदूर न केवल पहलगाम हमले का जवाब था, बल्कि 25 साल पुराने जख्म का मरहम भी. यह भारत की उस नीति को बताता है कि अब आतंक को उसकी भाषा में जवाब दिया जाएगा.”
