Swami Prasad Maurya: सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा दीये-मोमबत्ती को लेकर दिए गए बयान का विवाद अभी थमा भी नहीं है कि अब UP के पूर्व मंत्री और अपनी जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने दिवाली पर लक्ष्मी पूजा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. उनका बयान सामने आने के बाद विवादों में घिर गए हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए गृहणी को असल गृह लक्ष्मी बताया और माता लक्ष्मी को बाहरवाली लक्ष्मी करार दे दिया है.
‘देवी लक्ष्मी से भला होता तो…’
अपनी जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया- ‘दीपोत्सव महापर्व पर समस्त देशवासियों को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं. आइये हम सब दीप जलाएं, किन्तु ध्यान रहे पड़ोसी के यहां भी दीप जले यह भी सुनिश्चित करें. आइये हम पूजन व सम्मान करें असली गृह लक्ष्मी ( गृहणी) का, जो सही मायने में ताउम्र घर को साफ-सुथरा, सुंदर-सुघर व स्वर्ग बनाती हैं. घर के छोटे- बड़े सभी सदस्यों को प्यार की डोर से पिरोकर एकता का पाठ पढ़ाती है. घर को स्वर्ग से भी सुंदर बनाती है इसलिए “घरवाली” गृह लक्ष्मी कहलाती हैं . बाहरवाली लक्ष्मी तो हर बार बाजार से आती हैं फिर चली जाती हैं इसलिए तो हमारी बिगड़ी हालात कभी भी सुधर नहीं पाती हैं क्योंकि बाहरवाली बाहरवाली ही होती हैं.’
दीपोत्सव महापर्व पर समस्त देशवासियों को बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ । आइये हम सब दीप जलाये,किन्तु ध्यान रहे पड़ोसी के यहाँ भी दीप जले यह भी सुनिश्चित करे ।
— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) October 20, 2025
आइये हम पूजन व सम्मान करे असली गृह लक्ष्मी ( गृहणी) की जो सही मायने में ताउम्र घर को साफ – सुथरा सुंदर-सुघर व स्वर्ग बनाती हैं…
उन्होंने आगे लिखा- ‘धन की देवी लक्ष्मी से भला होता तो देश में 80 करोड़ लोगों को बदहाली, गरीबी, लाचारी-बेवसी की जिंदगी मात्र 5 कि ग्रा या 10 कि ग्रा चावल पर वितानी न पड़ती. करोड़ों बेरोजगार नौजवानों को रोजी-रोटी के लाले न पड़ते. दुनिया के गरीब देशों में भारत नहीं होता. आइये घर की असली लक्ष्मी को पहचाने एव उनका सम्मान व पूजन करें. ऐसा न हो कि घर की लक्ष्मी ललाय, बाहरवाली पूजा मांगे.’
मचा बवाल, स्वामी प्रसाद मौर्य ने दी सफाई
स्वामी प्रसाद मौर्य का यह पोस्ट सामने आने के बाद बवाल मच गया, जिसके बाद उन्होंने सफाई भी दी है. उन्होंने कहा- ‘ मैंने दीपोत्सव पर लोगों को शुभकामनाएं दीं. लोगों को अपने घर में दिया जलाने की अपील की और कहा कि पड़ोसी के यहां भी दीप जलना चाहिए. जिस धर्म के प्रतीक के रूप में हम देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ये एक परंपरा हो सकती है लेकिन व्यवहारिक सच से कोसों दूर है. अगर धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन आता, तो भारत दुनिया के गरीब देशों में शुमार नहीं होता.’
उन्होंने आगे कहा- ’80 करोड़ लोग जो 5-10 किलोग्राम चावल पर जीवित रहते हैं, अपने बच्चों को विश्वविद्यालय भेज सकते हैं? क्या ऐसे लोग अपने बच्चों को डॉक्टर बना सकते हैं? इंजीनियर, प्रोफेसर, वकील, आईएएस, आईपीएस या वैज्ञानिक? कभी नहीं. करोड़ों युवा आज बेरोजगार हैं. यदि धन की देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करने से गरीबी दूर हो जाती, तो 80 करोड़ लोग सिर्फ 5-10 किलोग्राम चावल पर जीवित नहीं रहते और करोड़ों युवा बेरोजगार नहीं होते. तो स्वाभाविक रूप से ये परंपरा हो सकती है.’
