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जब 30 साल बाद ‘एक तिल’ ने खोला खूंखार आतंकी का राज, ATS ने ऐसे दबोचा

Coimbatore Blasts Case

कोयंबटूर बम ब्लास्ट

Coimbatore Blasts Case: तमिलनाडु पुलिस ने हाल ही में एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसे सुनकर आप भी दांतों तले उंगलियां दबा लेंगे. करीब तीन दशक से फरार चल रहे तीन खूंखार आतंकियों को धर दबोचा गया है, और इस पूरे मिशन में एक छोटा-सा ‘तिल’ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से बना स्केच हीरो बनकर उभरे हैं.

ये कहानी है अबूबकर सिद्दीकी, मोहम्मद अली और सादिक उर्फ टेलर राजा की, जो 1998 के कोयंबटूर बम धमाकों और अन्य आतंकी गतिविधियों के मुख्य आरोपी थे. इन धमाकों में 58 लोग मारे गए थे और 250 से ज्यादा घायल हुए थे. इन आतंकियों को पकड़ने के लिए तमिलनाडु पुलिस की विशेष टीम, ATS ने ‘ऑपरेशन आराम’ और ‘ऑपरेशन अगाजी’ चलाए.

एक तिल ने खोली दर्जी राजा पोल

सादिक अली कोयंबटूर में 90 के दशक में सफारी जीन्स सिलने के लिए मशहूर था. लेकिन 1996 आते-आते उसका धंधा खून-खराबे में बदल गया. वह पेट्रोल बम धमाकों, हत्याओं और सबसे बढ़कर, 1998 के कोयंबटूर बम धमाकों में शामिल था. उसका निशाना बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी थे.

धमाकों के बाद राजा गायब हो गया. वह हुबली, सोलापुर और गुंटूर में भटकता रहा और फिर विजयपुरा में अपने बड़े भाई के नाम शाहजहां शेख से रहने लगा. उसने अपनी पहली पत्नी से नाता तोड़ लिया था और दोबारा शादी करके बच्चे भी पैदा कर लिए थे, जिन्हें उसके असली रूप का जरा भी अंदाजा नहीं था.

ATS को उसे पकड़ने में एक काले तिल से मदद मिली. अधिकारियों ने राजा की एक पुरानी तस्वीर को AI सॉफ्टवेयर में डाला और उसकी संभावित उम्र का एक स्केच तैयार किया. यह स्केच हुबली के कुछ बुजुर्ग दर्जियों को दिखाया गया, जिनमें से एक को राजा के चेहरे पर मौजूद वह तिल याद आ गया. बस फिर क्या था, ये तिल ही राजा की पहचान का सबसे बड़ा सबूत बन गया.

इस सुराग के मिलते ही ATS टीम विजयपुरा पहुंची और हफ्तों तक राजा का पीछा किया. 9 जुलाई को, जब उन्हें पूरा यकीन हो गया, तो उसे स्थानीय थाने बुलाया गया. कुछ सवालों के बाद, राजा ने अपना गुनाह कबूल कर लिया. उसने अपनी पत्नी और बच्चों को बताया कि उसे किसी पुराने केस के सिलसिले में कोयंबटूर जाना है और वह कुछ दिनों में लौट आएगा. उसे 1996 में जेल वार्डर भूपालन की हत्या में उसकी भूमिका के लिए 2022 में भगोड़ा घोषित किया गया था.

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IED एक्सपर्ट का पर्दाफाश

अबूबकर सिद्दीकी इन तीनों में सबसे खतरनाक माना जा रहा था. वह 1993 में चेन्नई में RSS कार्यालय पर हुए बम विस्फोट का मास्टरमाइंड था और IED और पार्सल बम बनाने में माहिर था. 1995 में भी उसने ऐसे ही दो बम भेजे थे.

सिद्दीकी कथित तौर पर UAE भाग गया था, फिर कुछ समय के लिए मुंबई लौटा और फिर गायब हो गया. 1999 तक, वह चेन्नई पुलिस कमिश्नरेट और विक्टोरिया अस्पताल बम विस्फोटों की साजिश रच चुका था. ATS अधिकारियों ने बताया कि सिद्दीकी 2002 से आंध्र प्रदेश के रायचोटी में रह रहा था, जहां वह प्लेटफॉर्म पर पुराने कपड़े बेचता था, छोटे-मोटे रियल एस्टेट सौदों में निवेश करता था और एक छोटी सी दुकान चलाता था. उसने 2021 में दोबारा शादी कर ली थी.

सिद्दीकी बेहद चालाक था. वह हर महीने तमिलनाडु में अपने परिवार से मिलने का बहाना बनाकर गायब हो जाता था, लेकिन असल में केरल या बेंगलुरु में आराम कर रहा होता था. पिछले एक दशक में ATS को उसके बारे में 10 बार गलत सूचना मिली, लेकिन 11वीं सूचना ने आखिरकार उसे पकड़ने में मदद की. AI-आधारित स्केच और महीनों की निगरानी के बाद 30 जून को उसे रायचोटी के एक थाने बुलाया गया और उसने आत्मसमर्पण कर दिया.

मोहम्मद अली मंसूर भी धरा गया

सिद्दीकी ने कथित तौर पर अपने सहयोगी मोहम्मद अली मंसूर के बारे में भी बताया, जो रायचोटी में कपड़े की दुकान चलाता था. उसे भी उसी कस्बे से गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में की गई छापेमारी में पुलिस को 2 किलो अमोनियम नाइट्रेट, कॉर्टेक्स तार और धातु के बोल्ट मिले, जो इन आतंकियों की खतरनाक मंसूबों की पोल खोलते हैं.

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