Taslima Nasrin: बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की आलोचना की है. उन्होंने पहलगाम हमले की तुलना ढाका में 2016 में हुए आतंकी हमले से की है. तस्लीमा ने कहा, ‘जब तक इस्लाम रहेगा, तब तक आतंकवाद रहेगा. 1400 सालों के बाद भी इस्लाम में कोई परिवर्तन नहीं आया. यहां आस्था तर्कों और मानवता पर भारी है. मुझे भारत से प्यार है.’
‘ढाका में भी कलमा ना पढ़ने पर मार दिया था’
दिल्ली साहित्य महोत्सव में पहुंची ‘लज्जा’ लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा कि इस्लाम में 1400 सालों में कोई विकास नहीं हुआ. जम्मू कश्मीर की तरह ही 2016 में ढाका में मुसलमानों को सिर्फ इसलिए मार दिया गया, क्योंकि वे कलमा नहीं पढ़ पाए थे. उन्होंने कहा कि यूरोप में चर्च संग्रहालयों में बदल गए हैं, लेकिन मुसलमान हर जगह मस्जिद बनाने में व्यस्त हैं.
‘भारत में मुझे घर जैसा लगता है‘
बांग्लादेश में ईशनिंदा के आरोपों के बाद तस्लीमा नसरीन 1994 से स्वीडन, अमेरिका और भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थायी निवासी हूं. वहां 10 तक रही हूं. लेकिन अपनापन नहीं लगता. जबकि कोलकाता आने पर मुझे घर की तरह एहसास होता है. पश्चिम बंगाल से निकाले जाने के बाद मुझे दिल्ली में दूसरा घर मिल गया. मुझे भारत ने वो दिया जो मुझे मेरा अपना देश नहीं दे सका.’
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‘बांग्लादेश में महिलाएं बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं’
तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश की स्थिति पर दुख जाहिर किया. उन्होंने कहा कि मेरे देश में महिलाएं सभी बुनियादी अधिकारों से वंचित हैं. इसके साथ ही उन्होंने समान नागरिक सहिता जैसे कानून की वकालत की. तस्लीमा नसरीन ने कहा, ‘हर सभ्य देश में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए. इस्लामी आका कुरान के अनुसार अधिकार चाहते हैं. अधिकार कभी भी धार्मिक नहीं होने चाहिए. संस्कृति, धर्म या परंपरा के नाम पर महिलाओं की सुरक्षा से समझौता किया जाता है. बांग्लादेश में भी महिलाओं को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया है.’
