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क्या भेड़ों ने निगल लिए हज़ारों करोड़? तेलंगाना के सबसे बड़े घोटाले की Inside Story!

Telangana Sheep Distribution Scam

तेलंगाना में मेल घोटाला

Telangana Sheep Distribution Scam: कहीं न कहीं आपने भी यह सुना ही होगा कि सरकारी योजनाएं लोगों की भलाई के लिए कम और घोटालेबाजों की जेब भरने के लिए ज़्यादा बनती हैं? तेलंगाना में ऐसा ही एक बड़ा मामला सामने आया है. दरअसल, तेलंगाना में बड़ा भेर घोटाला हुआ है, जिसने हज़ारों करोड़ रुपये निगल लिए हैं. ये कोई छोटी-मोटी धांधली नहीं, बल्कि एक ऐसा ‘भेड़चाल’ है, जिसकी पोल खोलने आज प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हैदराबाद में 8 ठिकानों पर धड़ाधड़ छापे मारे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ये माजरा है क्या और क्यों ED के कान खड़े हो गए हैं.

भलाई के नाम पर शुरू हुई योजना

साल 2017 में तेलंगाना के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव ने एक शानदार योजना शुरू की थी, ‘भेड़ वितरण योजना’ (SRDS Scheme). इसका मकसद था ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करना और हमारे चरवाहा भाइयों को आत्मनिर्भर बनाना. इस योजना के तहत, हर परिवार को सिर्फ 25% कीमत देकर 20 भेड़ें मिलती थीं, यानी 75% सब्सिडी सरकार देती थी. यह सुनने में कितना अच्छा लगता है न? इस पर करीब 5,000 करोड़ रुपये खर्च भी हुए. लेकिन, कहते हैं ना, हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती.

कहां से शुरू हुई गड़बड़?

जैसे-जैसे योजना आगे बढ़ी, इसमें भयानक गड़बड़ियां सामने आने लगीं. शुरुआत में ED की FIR में तो सिर्फ 2.1 करोड़ रुपये के घोटाले का ज़िक्र था, जो ऊंट के मुंह में ज़ीरा जैसा था. लेकिन, जब भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट पेश की, तो सबके होश उड़ गए. CAG ने बताया कि सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

कैसे किया गया घपला?

फ़र्ज़ी नाम, फ़र्ज़ी पते: लाभार्थियों के नाम और पते ठीक से दर्ज ही नहीं किए गए. मानो भेड़ें हवा में उड़ गईं.

बिल का खेल: कई बार फ़र्ज़ी बिल बनाकर भुगतान किया गया. मतलब, कागज़ों पर भेड़ें खरीदी गईं, लेकिन असल में पता नहीं क्या हुआ.

डुप्लीकेट टैग: भेड़ों पर लगने वाले टैग्स को डुप्लीकेट कर दिया गया, ताकि एक भेड़ को कई बार गिना जा सके.

गाड़ियों का गोरखधंधा: जिन गाड़ियों से भेड़ें ढोई गईं, वो असल में गैर-व्यावसायिक वाहन थे, जिनका इस काम से कोई लेना-देना ही नहीं था.

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घोटाले का ‘हज़ार करोड़’ कनेक्शन

CAG की रिपोर्ट सिर्फ 7 ज़िलों की जांच पर आधारित थी, जहां 253.93 करोड़ रुपये का नुकसान बताया गया. यहां सोचने वाली बात यह है कि अगर सिर्फ 7 ज़िलों में इतना बड़ा घोटाला हो सकता है, तो पूरे तेलंगाना में यह आंकड़ा कितना बड़ा हो सकता है. ED को अपनी जांच में कई बड़े सुराग मिले हैं, जो बताते हैं कि इस योजना में बहुत बड़े स्तर पर धोखाधड़ी हुई है.

आज की छापेमारी तो बस शुरुआत है. ED के सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में और भी कई ठिकानों पर छापे पड़ सकते हैं और इस घोटाले में शामिल बड़े मगरमच्छों के नाम भी सामने आ सकते हैं.

कई बड़े नाम शामिल

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि तेलंगाना के बड़े भेड़ घोटाले में अब बड़े नेताओं से जुड़े लोगों पर भी ED ने छापा मारा है. इनमें पूर्व BRS सरकार के मंत्री तलासनी श्रीनिवास यादव के OSD (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) जी. कल्याण से जुड़े ठिकाने भी शामिल हैं. जी. कल्याण का नाम पुलिस में दर्ज शिकायत में भी है, जिससे उनकी भूमिका साफ दिखती है.

इसके अलावा, तेलंगाना राज्य भेड़ और बकरी विकास सहकारी महासंघ के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर सबावथ रामचंदर के ठिकानों पर भी छापे मारे गए हैं. इन छापों से पता चलता है कि ED की जांच सिर्फ छोटे लोगों तक नहीं रुक रही, बल्कि इसकी पहुंच राजनीतिक गलियारों तक भी हो गई है. यह घोटाला पिछली BRS सरकार के समय का है, और इन छापों से राजनीति में हड़कंप मच गया है. आने वाले दिनों में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं, क्योंकि ED इस हज़ारों करोड़ के घोटाले के पीछे के असली चेहरों को ढूंढ रही है.

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