Jagannath Rath Yatra: आज से प्रभु जगन्नाथ की रथयात्रा शुरूआत होने जा रही है. ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर को हिंदू धर्म के अनुसार चार धामों में से एक माना जाता है. जिसे भक्त बैकुंठ धाम का स्वरूप भी मानते हैं. भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर अपने धार्मिक महत्व के लिए तो प्रसिद्ध है ही, बल्कि इस मंदिर से जुड़ी अनेकों रहस्यमयी घटनाएं भी आकर्षण का केंद्र हैं.
हर साल के आषाढ़ शुक्ल पक्ष में होने वाली भगवान जगन्नाथ की भव्य यात्रा इस मंदिर की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध धार्मिक परंपरा है. इस रथ में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा विराजते हैं. हर साल इस रथयात्रा में देश-विदेश के कोने-कोने से भक्त आते हैं. मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इस मंदिर से जुड़े कई रहस्य है जिनके आगे विज्ञान भी कारगर नहीं है. इन्हीं में से एक रहस्य यह भी है कि मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर भक्तों को पैर रखना मना है क्योंकि उस सीढ़ी में ‘यमराज’का निवास है.
मंदिर की तीसरी सीढ़ी का क्या है रहस्य?
भगवान जगन्नाथ के मंदिर के मुख्य द्वार पर कुल 22 सीढ़ियां हैं. इन 22 सीढ़ियों में नीचे से तीसरी सीढ़ी को खास माना गया है. इस सीढ़ी में मृत्यु के देवता ‘यमराज’ वास करते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, “एक दिन यमराज के देखा कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन के बाद भक्त सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं. जिसके बाद यमराज भगवान जगन्नाथ से मिलने पुरी आए और पूछा कि प्रभु भक्तों को आपके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती तो जिससे अब कोई यमलोक तो आता ही नहीं है.”
यमराज की ये बात सुनकर भगवान जगन्नाथ बोले, “तुम मंदिर के मुख्य द्वार की तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण कर लो, जिसके बाद कोई भी भक्त मेरे दर्शन के बाद इस सीढ़ी पर कदम रखेगा, उसे पापों से तो मुक्ति मिलेगी लेकिन यमलोक भी जाना पड़ेगा” जिसके बाद से इस सीढ़ी का नाम ‘यमशिला’ पड़ा. कहा जाता है कि मंदिर की तीसरी सीढ़ी का रंग बाकी सीढ़ियों से अलग है जिससे भक्त आसानी से पहचान सकें. इसीलिए भगवान जगन्नाथ के मंदिर की तीसरी सीढ़ी पर भक्तों को पैर रखना मना है.
