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22 फीट ऊंची छलांग लगा सकता है ये घोड़ा, महाराणा प्रताप भी करते थे इस्तेमाल, जानिए खासियत

Kathiawari horse

काठियावाड़ी घोड़ा (File Photo)

Unique Breed of Horse: बिहार के गया में घोड़े की एक अनोखी नस्ल का पालन पोषण किया जा है. भारत के परमवीर योद्धा महाराणा प्रताप का चेतक भी इसी नस्ल का घोड़ा था. घोड़ों की ये अनोखी प्रजाति अपनी लंबी छलांग के लिए मशहूर है. ये घोड़े दो मंजिला ऊंची छलांग लगा सकते है.

बिहार में किया जा घोड़ों का पालन-पोषण

काठियावाड़ी घोड़े अपनी विशेषताओं के लिए देश भर में प्रसिद्ध है. बिहार के गयाजी जिले स्थित एक गौशाला में 6 काठियावाड़ी घोड़ों का पालन पोषण किया जा रहा है. जिले के मटिहानी के श्री राधा-कृष्ण गीर गौशाला में काठियावाड़ी नस्ल के 2 घोड़े और 4 घोड़ी हैं. इस गौशाला में पशु प्रेमी बृजेंद्र कुमार चौबे इन घोड़ो की सेवा करते हैं.  

22 फीट तक छलांग लगाता है ये घोड़ा

बृजेंद्र चौबे ने बताया कि उनके पास इस नस्ल के अलग-अलग घोड़े हैं और सबकी घोड़ों की खासियत भी अलग है. इन्होंने सभी घोड़ो का नामकरण किया हुआ है. जिसमें एक घोड़े का नाम ‘रोजा’ रखा गया है. रोजा की खासियत है कि वो 22 फीट तक छलांग लगाता है जोकि किसी दो ​मंजिला इमारत जितनी उचाई होती है. इसके अलावा इनके पास ‘अलास्का’ नामक घोड़ी है जो रेसर है और यह 120 किमी प्रति घंटा दौड़ सकती है. वहीं, बीरा नामक घोड़ी रेवाल चाल चलती है.

उन्होंने आगे बताया कि वह एक पशुप्रेमी हैं. वे बहुत पहले से देसी गाय और घोड़े पालने का शौक रखते है. उनके पास 200 से अधिक गीर गाय और 6 घोड़े हैं. काठियावाड़ी नस्ल के घोड़ों की कीमत 4 लाख रुपये से अधिक होती है. उनके पास मौजूद घोड़ों की कीमत भी लाखों में हैं.

काठियावाड़ी घोड़ों की विशेषता क्‍या?

गुजरात के काठियावाड़ क्षेत्र में पाए जाने वाले एक अनोखी नस्ल के घोड़ो को काठियावाड़ी घोड़ा कहा जाता है. ये घोड़े अपनी सुंदरता, सहनशक्ति और वफादारी के लिए जाने जाते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इस नस्ल की उत्पत्ति पश्चिमी भारतीय प्रायद्वीपीय प्रांत काठियावाड़ से हुई थी. यह नस्ल भारत में एक लोकप्रिय सवारी घोड़ा है जो इतना मजबूत और फुर्तीला होता है कि अनिश्चित जमीन पर कई दिनों की यात्रा को सहन कर सकता है. इस प्रजाति के घोड़े अपनी लंबी—लंबी छलांग के लिए विश्व प्रसिद्ध है. बृजेंद्र चौबे ने बताया कि महाराणा प्रताप का विश्व प्रसिद्ध घोड़ा चेतक भी इसी नस्ल का घोड़ा ​था.

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पुलिस करती है इन घोड़ों का इस्तेमाल

काठियावाड़ी घोड़े आम तौर पर दूसरे घोड़ों की तुलना में छोटे कद के होते हैं, लेकिन यह उनकी विशेष नस्लीय पहचान का हिस्सा है. इन​की औसत लंबाई लगभग 60 इंच होती है. अपने छोटे, सुगठित शरीर के बावजूद, काठियावाड़ी काफी मांसल और मजबूत होते हैं. ये घोड़े बाकि नस्लों की तुलना में अधिक सहनशील होते हैं. इसे मूल रूप से युद्ध के घोड़े और घुड़सवार सेना की सवारी के रूप में पाला गया था. अब इन्हें घुड़सवारी और खेलों के साथ-साथ पुलिस के घोड़ों के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है.

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