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UNSC में पाकिस्तान की नहीं गली दाल, सदस्यों देशों ने पहलगाम हमले पर लगाई जमकर लताड़

UNSC Meeting

शहबाज शरीफ और पीएम मोदी

UNSC Meeting: भारत के साथ तनाव के बीच पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन यहां भी उसकी चाल कामयाब नहीं हो सकी. बंद दरवाजे के पीछे हुई बैठक में पाकिस्तान को सदस्य देशों के कड़े सवालों का सामना करना पड़ा. पाकिस्तान पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terrorist Attack) पर यूएनएनसी को गुमराह करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन इस बैठक में सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने पाकिस्तान के ‘फॉल्स फ्लैग’ वाले दावे को खारिज कर दिया और पूछा कि क्या इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा शामिल हो सकता है?

बंद दरवाजे के पीछे हुई इस बैठक में पहलगाम आतंकी हमले की व्यापक निंदा की गई और दोषियों को सजा दिलाने की मांग उठी. इस हमले में 26 लोगों को आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया था, जब वे अपने परिवार के लोगों के साथ छुट्टी मनाने पहलगाम गए थे. इस आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ सामने आया तो आतंकियों को पनाह देने वाला पड़ोसी मुल्क यूएनएससी की शरण में जा पहुंचा था.

पाक को सदस्य देशों ने लगाई लताड़

यूएनएससी की बैठक में कुछ सदस्य देशों ने विशेष रूप से धार्मिक आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाए जाने का मुद्दा उठाया. बता दें कि पहलगाम हमले के कई पीड़ित परिवारों ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि आतंकियों ने उनका धर्म पूछा और फिर गोलियां दागी थीं.

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भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं. सिंधु जल समझौते को रोकने और पाकिस्तान के साथ हर तरह के व्यापार को बंद करने जैसे कदम भारत ने उठाए हैं, जिससे पाकिस्तान बिलबिला उठा है. वह बार-बार यह कह रहा है कि इन कदमों से इलाके में तनाव बढ़ेगा. लेकिन बैठक में सदस्य देशों ने पाकिस्तान के दावों के उलट उसके द्वारा किए गए मिसाइल परीक्षण और परमाणु युद्ध की धमकी देने को क्षेत्रीय तनाव बढ़ाने वाला बताया.

कश्मीर मुद्दे पर नहीं गली पाक की दाल

कश्मीर के मुद्दे को लेकर पाकिस्तान की कोशिश रही है कि इसको अंतर्राष्टीय बनाया जाए, लेकिन यहां भी पाकिस्तान की दाल नहीं गली. पाकिस्तान की ओर से इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिशें एक बार फिर नाकाम रहीं. सदस्यों देशों ने सलाह दी कि वह भारत से द्विपक्षीय बातचीत के जरिये इस मामले को सुलझाए. इस तरह भारतीय कूटनीति ने यूएनएससी के दखल के प्रयास को एक बार फिर विफल कर दिया और इस मीटिंग के बाद किसी तरह का प्रस्ताव नहीं लाया गया.

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