Arpit Singh Fraud: उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार की एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो सुनकर आप दंग रह जाएंगे. एक ही नाम, अर्पित सिंह, और छह अलग-अलग जिलों में सरकारी नौकरी. जी हां, यूपी में एक शख्स ने सिस्टम को चकमा देकर न सिर्फ एक, बल्कि छह सरकारी नौकरियां हासिल कर लीं. यह मामला भ्रष्टाचार और पहचान के दुरुपयोग का एक जीता-जागता उदाहरण है, जिसने प्रशासन को सकते में डाल दिया है.
कौन है अर्पित सिंह ?
उत्तर प्रदेश में अर्पित सिंह नाम के एक शख्स का नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम सभी रिकॉर्ड में समान पाया गया, लेकिन इसके बावजूद वह 6 अलग-अलग जिलों में एक ही समय पर नियुक्त था- फर्रुखाबाद, बांदा, बलरामपुर, बदायूं, रामपुर और शामली जिला शामिल है. अब इस फर्जीवाड़े के कारण यूपी के ये 6 जिले काफी चर्चा में हैं.
कैसे हुआ यह फर्जीवाड़ा?
जांच में पता चला कि अर्पित सिंह नाम का यह शख्स यूपी के छह जिलों में अलग-अलग सरकारी नौकरियों में कार्यरत है. इन जिलों में विभिन्न विभागों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्राम विकास में यह नाम बार-बार सामने आया. सूत्रों के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े में फर्जी दस्तावेज, आधार कार्ड की गड़बड़ी और भर्ती प्रक्रिया में लापरवाही की बड़ी भूमिका रही.
करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
इन 6 जिलों में 6 नौकरियों पर काम करते हुए अर्पित ने सरकार को करोड़ों रुपयों का नुकसान पहुंचाया है.अर्पित सिंह के हर महीने वेतन 69,595 रुपये ले रहा था. एक साल में सिर्फ एक जिले से ही 8,35,140 रुपये की सैलरी ली गई. 9 सालों में केवल एक जिले से 75,16,260 रुपये का भुगतान हो चुका है. अगर 6 जिलों के अर्पित सिंहों के वेतन जोड़ें, तो लगभग 4.5 करोड़ रुपये सिर्फ छ व्यक्तियों ने विभाग से हासिल कर लिए.
CMO की टीम करेगी जांच
बता दें कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पूरे मामले पर तीन उप मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की जांच टीम बनाई है. जांच के बाद कार्रवाई पूरी कार्रवाई होगी. सरकार की नीतियां, विभागीय सख्ती और निगरानी तंत्र सब पर यह सवाल खड़ा हो गया कि आखिर कैसे इतने लंबे समय तक कोई ‘अस्तित्वहीन’ शख्स सरकारी वेतन का लाभ उठाता रहा?
मामले पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अवनींद्र कुमार का कहना है कि कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, लेकिन यह कार्रवाई सिर्फ नियम-कानून के दस्तावेजों तक सीमित रहेगी या फिर व्यवस्था की जड़ों तक पहुंचेगी, यह एक बड़ा सवाल है.
