UP News: लखनऊ हाई कोर्ट की बेंच एक पारिवारिक विवाद मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. मामला पत्नी द्वारा गुजारे भत्ते की मांग का था, जिसकी खुद की सैलरी 73 हजार रुपए महीना है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर पत्नी खुद अच्छी कमाई कर रही है तो उसका पति से गुजारा भत्ता लेने का अधिकार नहीं बनता है. हालांकि, पति को हर महीने 25 हजार रुपए अपने बच्चे की परवरिश के तौर पर देना पड़ेगा.
पूरा मामला क्या है?
लखनऊ के पारिवारिक न्यायालय ने मार्च 2024 में एक आदेश पारित किया था. इसमें पति को अपनी पत्नी को 15 हजार रुपए और बच्चे को 25 हजार रुपए प्रतिमाह देने का निर्देश दिया गया था. पति ने इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती दी और कहा कि उसकी पत्नी पहले से ही अच्छी-खासी कमाई करती है. ऐसे में उसे भरण-पोषण की रकम देने का कोई हक नहीं है.
सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि पति सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जो कि करीबन 2 लाख रुपए प्रतिमाह कमाता है. वहीं, पत्नी भी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है और हर महीने 73 हजार रुपए कमा रही है. साथ ही पत्नी ने हाल ही में लखनऊ में 80 लाख की कीमत का फ्लैट भी खरीदा है.
पति का कहना था कि जब पत्नी इतनी अच्छी कमाई कर रही है और आर्थिक रूप से मजबूत है तो उसे गुजारा भत्ता दिलाना न सिर्फ गलत है बल्कि कानून के उद्देश्य के भी खिलाफ है.
हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद स्पष्ट किया कि भरण-पोषण का उद्देश्य उस व्यक्ति की मदद करना है, जो आर्थिक रूप से खुद को संभालने में सक्षम न हो. लेकिन इस मामले में पत्नी हर महीने 73 हजार रुपए कमा रही है और अपने खर्च खुद उठाने की स्थिति में है. साथ ही उसके पास खुद का फ्लैट भी है.
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ऐसे में अदालत ने माना कि पारिवारिक न्यायालय ने पति को पत्नी को 15 हजार रुपए देने का आदेश देकर गलती की थी. इसलिए इस फैसले को रद्द कर दिया गया. हालांकि, बच्चे को 25 हजार रुपए प्रतिमाह देने वाले आदेश बरकरार रखा जाएगा. इस पर अदालत ने कहा कि बच्चे की परवरिश और शिक्षा का खर्च पिता की जिम्मेदारी है और इस पर कोई छूट नहीं दी जा सकती.
ये फैसला क्यों जरूरी?
यह फैसला उन मामलों के लिए अहम माना जा रहा है, जहां पति-पत्नी दोनों ही अच्छे-खासे पदों पर काम कर रहे हों. आमतौर पर पति की आय ज्यादा होने पर अदालतें पत्नी के पक्ष में गुजारा भत्ता तय कर देती हैं, लेकिन इस मामले में हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि सिर्फ पत्नी होने के नाते महिला को गुजारा भत्ता नहीं मिल सकता, अगर वह खुद अच्छी कमाई कर रही है.
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हाई कोर्ट के इस आदेश से यह संदेश गया है कि गुजारा भत्ता उसी को मिलेगा, जिसे वास्तव में इसकी जरूरत है. अगर पत्नी खुद आर्थिक रूप से सक्षम है तो उसे पति पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं. वहीं, बच्चे के पालन-पोषण की जिम्मेदारी दोनों माता-पिता की बराबर है और इसमें पिता को अपनी आय के अनुपात में योगदान देना ही होगा.
