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ISIS पैटर्न पर ब्रेनवॉश, कई राज्यों में फैला था धर्मांतरण का जाल…’छांगुर पीर’ से भी आगे निकला आगरा का ये गिरोह

Operation Asmita

गिरफ्तार आरोपी

Operation Asmita: क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे कुछ शातिर लोग, एक अदृश्य जाल बिछाकर मासूमों को अपने शिकंजे में कस लेते हैं और उनकी पूरी जिंदगी बदल देते हैं? उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल ही में ऐसे ही एक बेहद खौफनाक और सुनियोजित धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ किया है. यह कोई आम आपराधिक गिरोह नहीं है. पुलिस का मानना है कि इसके तार ISIS जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों से भी जुड़े हो सकते हैं.

एक गुमशुदगी से शुरू हुई बड़ी पड़ताल

इस पूरे सनसनीखेज मामले की शुरुआत आगरा शहर से हुई, जहां मार्च 2025 में दो सगी बहनें, जिनकी उम्र 18 और 33 साल थी, रहस्यमयी तरीके से गायब हो गईं. उनके परिवार ने तुरंत आगरा के सदर बाजार थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई. पुलिस के लिए यह मामला शुरू से ही पेचीदा था, क्योंकि बहनें अपने फोन साथ नहीं ले गई थीं और सोशल मीडिया पर भी वे अपने असली नामों से सक्रिय नहीं थीं. ऐसे में उनका पता लगाना ‘अंधेरे में सुई खोजने’ जैसा था.

लेकिन, उत्तर प्रदेश पुलिस ने हार नहीं मानी. पुलिस आयुक्त के कड़े निर्देशों पर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त ने इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन की कमान संभाली. पुलिस ने परिवार से मिली छोटी-से-छोटी जानकारी को भी खंगालना शुरू किया. साइबर सेल को सक्रिय किया गया, जिसने अथक प्रयास के बाद इंस्टाग्राम पर एक रहस्यमय ‘कनेक्टिंग रिवर्ट आईडी’ का पता लगाया. इस आईडी की लोकेशन कोलकाता की निकली, और यहीं से इस पूरे धर्मांतरण रैकेट की पहली कड़ी जुड़ी.

जासूसी का जाल, महिला दारोगा बनी सूत्रधार

‘कनेक्टिंग रिवर्ट आईडी’ से जुड़े लोगों की जांच शुरू की गई. पुलिस ने एक बेहद चतुर और जोखिम भरी योजना बनाई. एक महिला दारोगा को इस ऑपरेशन में शामिल किया गया. उसने खुद को धर्म परिवर्तन के लिए इच्छुक बताया और उस इंस्टाग्राम आईडी से संपर्क साधा.

जवाब आया, और जवाब देने वाली एक महिला थी. इस बातचीत से पुलिस को एक अहम सुराग मिला, ‘आयशा’ नाम की एक महिला. आयशा से मिली जानकारी और बैंक खातों के विवरण ने इस धर्मांतरण गैंग की गहरी जड़ों को बेनकाब करना शुरू कर दिया. पुलिस को अब एक चेहरा और एक फाइनेंशियल ट्रैक मिल चुका था, जिससे वे इस पूरे नेटवर्क तक पहुंच सकते थे.

‘ऑपरेशन अस्मिता’ के तहत 6 राज्यों में एक साथ छापे

जैसे ही लापता बहनों के कोलकाता में होने का पुख्ता सुराग मिला, पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ को एक बड़े पैमाने पर अंजाम देने का फैसला किया. एसीपी के नेतृत्व में चार टीमें तुरंत कोलकाता के लिए रवाना की गईं. लेकिन यह कहानी सिर्फ कोलकाता तक सीमित नहीं थी. इस गिरोह के तार दिल्ली, राजस्थान, गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में भी फैले हुए थे. इसलिए, इन सभी राज्यों में भी टीमें रवाना की गईं, जिनमें हर टीम में 4 से 5 अनुभवी पुलिसकर्मी शामिल थे. कुछ टीमें तो समय बचाने के लिए हवाई जहाज से भी गईं.

कुल 50 पुलिसकर्मियों की एक विशाल टीम ने लगातार चार दिन और रात अथक परिश्रम किया. एक ही समय पर, पूरी सटीकता के साथ, देश के छह राज्यों, उत्तर प्रदेश, गोवा, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, दिल्ली और राजस्थान में दर्जनों ठिकानों पर छापे मारे गए. इस समन्वित और बड़े पैमाने के ऑपरेशन का नतीजा यह हुआ कि आखिरकार लापता बहनें सुरक्षित मिल गईं और साथ ही इस खतरनाक धर्मांतरण गैंग के 10 शातिर सदस्य भी पुलिस की गिरफ्त में आ गए. यह पुलिस की एक बड़ी जीत थी.

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‘लव जिहाद’ से लेकर आतंकी फंडिंग तक

पुलिस के खुलासे बेहद चौंकाने वाले हैं. यह गिरोह बेहद सुनियोजित और पेशेवर तरीके से काम करता था. हर सदस्य की भूमिका तय थी, एक बड़ी कंपनी की तरह.

लव जिहाद का जाल: ये लोग युवा लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाते थे, उन्हें बहकाते थे और फिर धर्म बदलने के लिए उन पर दबाव डालते थे.

ब्रेनवॉश और कट्टरता: धर्म परिवर्तन के बाद, ये लोग व्यक्तियों का ब्रेनवॉश करते थे और उन्हें कट्टरपंथी विचारों की ओर धकेलते थे.

अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग: पुलिस को पता चला है कि इस गिरोह को कनाडा, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और अमेरिका जैसे देशों से भारी मात्रा में अवैध फंडिंग मिलती थी.

वित्तीय प्रबंधन: विदेश से आए इन पैसों को गैंग के सदस्य बहुत सावधानी से जमा करते और फिर जरूरतमंदों तक पहुंचाते थे.

सुरक्षित ठिकाने: गैंग के सदस्यों और धर्मांतरित व्यक्तियों को छिपाने के लिए ये सुरक्षित घरों और ठिकानों का इंतजाम करते थे.

पहचान छुपाने के तरीके: पुलिस से बचने और अपनी गतिविधियों को गोपनीय रखने के लिए, ये नए फोन और सिम कार्ड का इंतजाम करते थे.

कानूनी ढाल: पकड़े जाने या कानूनी पचड़े में पड़ने पर, ये गैंग के सदस्यों को कानूनी सलाह और मदद भी मुहैया कराते थे.

पुलिस का मानना है कि इस गिरोह के तार कुख्यात संगठनों जैसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) और यहां तक कि पाकिस्तान स्थित कुछ आतंकी संगठनों से भी जुड़े हैं. यह गैंग दिल्ली, जयपुर, कोलकाता, गोवा, देहरादून और उत्तर प्रदेश के कई छोटे-बड़े शहरों में अपना नेटवर्क फैला चुका था.

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