US Tariff On India: अमेरिका ने भारत को एक और आर्थिक ‘झटका’ दे दिया है. कल यानी 27 अगस्त 2025 से भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों पर 50% टैरिफ लगने जा रहा है. पहले 7 अगस्त से 25% टैरिफ लग चुका था और अब 25% का डबल डोज दिया गया है. ये सब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का ‘जैसे को तैसा’ वाला दांव है, जिसमें भारत का रूस से तेल खरीदना उन्हें खटक रहा है. लेकिन ये टैरिफ का तड़का हमारी जेब, नौकरियों और अर्थव्यवस्था पर कैसे लगेगा? आइए जानते हैं.
टैरिफ का तमाशा क्यों कर रहे हैं ट्रंप?
सबसे पहले समझते हैं कि ये टैरिफ क्या बला है? टैरिफ मतलब आयात शुल्क. जब कोई देश दूसरे देश से सामान खरीदता है, तो उस पर टैक्स लगाता है. ट्रम्प का कहना है, “भारत हमारे सामानों पर भारी टैरिफ लगाता है, तो हम भी पीछे क्यों रहें?” इसके अलावा, भारत का रूस से तेल खरीदना उन्हें और चुभ रहा है. 2022 से पहले भारत रूस से सिर्फ 0.2% तेल खरीदता था, लेकिन अब ये आंकड़ा 45% तक पहुंच गया है. यानी हर दिन 17-20 लाख बैरल तेल. ट्रम्प को लगता है कि ये तेल खरीदकर भारत रूस की जेब भर रहा है, जो उनकी नीतियों के खिलाफ है.
इस वजह से भारत के खिलाफ ट्रंप ने पहले 7 अगस्त को 25 फीसदी टैरिफ लगाया और अब 27 अगस्त से 25 फीसदी और टैरिफ लगाने का नोटिफिकेशन जारी किया है. अब भारत से अमेरिका जाने वाले सामान महंगे हो जाएंगे और इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था से लेकर आपकी जेब तक पड़ेगा.
इंडस्ट्रीज का ‘रोना-धोना’
ज्वेलरी, टेक्सटाइल, ऑटो, सीफूड, ये सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे. अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है, जहां हर साल करीब 87 अरब डॉलर का सामान जाता है. अगर टैरिफ की वजह से ऑर्डर कम हुए, तो इन इंडस्ट्रीज का मुनाफा घटेगा. अच्छी खबर ये है कि फार्मास्यूटिकल्स, आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स को अभी राहत है. फार्मा पर टैरिफ 0% है और आईटी सर्विस सेक्टर होने की वजह से इस दायरे से बाहर है. लेकिन ट्रम्प ने फार्मा पर भविष्य में 150-250% टैरिफ की धमकी दी है, तो सावधान रहना होगा.
नौकरियों पर संकट
अगर अमेरिका में भारतीय सामान महंगे हो गए, तो वहां से ऑर्डर कम होंगे. कम ऑर्डर का मतलब है कंपनियों को प्रोडक्शन घटाना पड़ेगा, और फिर? छंटनी का खतरा. खासकर ज्वेलरी, कपड़ा, और मशीनरी सेक्टर में नौकरियां जा सकती हैं. कितनी नौकरियां? ये अभी अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन खतरा बड़ा है.
जेब पर असर
निर्यात कम होने से सरकार की कमाई घटेगी, और इसका असर आपकी जेब पर भी पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ में 0.2% से 0.6% तक की कमी आ सकती है. यानी विकास की रफ्तार धीमी हो सकती है.
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नए बाजारों की तलाश
भारत अब अमेरिका पर निर्भरता कम करने के लिए कमर कस रहा है. वाणिज्य मंत्रालय ने 50 देशों के लिए नई निर्यात रणनीति बनाई है. अब भारत मिडिल ईस्ट, अफ्रीका और यूरोप के बाजारों पर फोकस करेगा. सीफूड के लिए रूस और यूके. ज्वेलरी के लिए वियतनाम और थाईलैंड जैसे देशों की ओर रुख किया जा रहा है.
भारत का ‘पलटवार’ प्लान
भारत भी चुप नहीं बैठा है. सरकार फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (FTA) पर जोर दे रही है. आइसलैंड, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड जैसे देशों के साथ डील हो चुकी है, जो 1 अक्टूबर से लागू होगी. ब्रिटेन के साथ अगले साल अप्रैल तक डील पक्की हो सकती है. इसके अलावा, ओमान, चिली और ऑस्ट्रेलिया के साथ बातचीत चल रही है. भारत-अमेरिका ट्रेड डील की बातचीत भी सितंबर-अक्टूबर तक रफ्तार पकड़ सकती है, लेकिन कृषि और डेयरी सेक्टर में अभी पेंच फंसा है.
ट्रम्प ने 60 से ज्यादा देशों पर टैरिफ लगाए हैं, लेकिन भारत और चीन जैसे 5 देशों पर खास नजर है. भारत का कहना है कि जब 2022 में तेल की कीमतें आसमान छू रही थीं, तब अमेरिका ने ही भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था. अब वही बात ट्रम्प को खटक रही है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि इस टैरिफ से भारत का निर्यात 40-50% तक कम हो सकता है.
