UP Aadhar Card News: उत्तर प्रदेश सरकार ने आधार कार्ड को लेकर बड़ा फैसला लिया है, जिसके अनुसार अब आधार कार्ड को जन्म तिथि के प्रामाणिक प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा. यह आदेश योगी सरकार के नियोजन विभाग ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों और अपर मुख्य सचिवों को जारी कर दिए हैं.
नियोजन विभाग के विशेष सचिव अमित सिंह ने आदेश जारी करते हुए बताया कि UIDAI की गाइड लाइन के बावजूद कई विभाग अभी भी आधार कार्ड को जन्म तिथि की पुष्टि के लिए इस्तेमाल कर रहे थे. सरकार ने अब साफ निर्देश दिया है कि नियुक्ति, पदोन्नति, सेवा रजिस्टर में सुधार या किसी भी संवेदनशील सरकारी प्रक्रिया में आधार को जन्म तिथि प्रमाण के रूप में न लिया जाए. जन्म तिथि सत्यापन के लिए स्कूल प्रमाणपत्र, जन्म प्रमाण पत्र, हाईस्कूल मार्कशीट तथा नगर निकाय या स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी प्रमाण पत्रों को अनिवार्य रूप से स्वीकार किया जाएगा. ये सभी दस्तावेज पहले से ही वैध माने जाते रहे हैं.
In Uttar Pradesh, Aadhaar cards will no longer be accepted as a birth certificate or proof of date of birth. The Planning Department has issued instructions to all departments. No birth certificate is attached to the Aadhaar card; therefore, it cannot be considered a birth… pic.twitter.com/uzinTdj8Yc
— ANI (@ANI) November 28, 2025
ग्राम पंचायतों में लगेंगे कैंप
योगी सरकार के इस फैसले के बाद अब ग्राम पंचायत सचिवालयों में ही आधार नामांकन और अपडेट केंद्र स्थापित किए जाएंगे, ताकि ग्रामीणों को शहरों के चक्कर न काटने पड़ें. बिना किसी समस्या के अपने रिकार्ड दुरुस्त कर सकें. इन केंद्रों पर नया आधार बनवाने के साथ-साथ नाम, पता, मोबाइल, फोटो आदि सुधारने की सुविधा भी मिलेगी.
ग्राम पंचायत पर ही मिलेगी सुविधा
योगी सरकार की पहल से पंचायत स्तर पर पहले से ही खतौनी, जन्म प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र जैसी सेवाएं मिलती थीं. अब इसमें आधार से जुड़ी सेवाएं भी शामिल होंगी. ग्राम पंचायतों में आधार केंद्र खुलने की वजह से ग्रामीणों को काफी सुविधा मिलेगी और समय की बचत होगी.
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UIDAI के पत्र के आधार पर लिया फैसला
योगी सरकार का यह आदेश UIDAI द्वारा 31 अक्टूबर को जारी किए गए पत्र के आधार पर लागू किया गया है, जिसमें बताया गया था कि आधार में दर्ज जन्म तिथि अक्सर अनुमानित होती है और इसे आधिकारिक जन्म प्रमाण के रूप में नहीं माना जा सकता. जिसके बाद राज्य सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है.
