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दिल्ली में राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाएगा ‘वीर बाल दिवस’, राष्ट्रपति देंगी प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार

Veer Bal Divas 2025

Veer Bal Divas 2025

Veer Bal Divas: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 26 दिसंबर को देशभर में ‘वीर बाल दिवस’ का राष्ट्रीय स्तर पर आयोजन करेगा, जिसका उद्देश्य गुरु गोविंद सिंह जी के बेटों और भारत के नन्हे नायकों की शहादत को याद करना है. छोटे साहिबजादों के नाम से प्रख्यात बाबा ज़ोरावर संघ (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह (7 वर्ष) को मुग़ल हुक्मरान औरंगजेब की आदेश पर ज़िंदा दीवार में चुनवा दिया गया था. इसी दिन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (Pradhan Mantri Rashtriya Bal Puraskar) भी उन बच्चों को प्रदान किया जाएगा जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण उपलब्धियाँ हासिल की हैं.

यह पुरस्कार हर वर्ष उन बच्चों को दिया जाता है जिन्होंने वीरता, कला और संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सेवा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा खेल जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान दिया हो। इस वर्ष 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 20 बच्चों का चयन इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए किया गया है. इन पुरस्कारों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में सुबह 10 बजे आयोजित विशेष समारोह में प्रदान करेंगी.

इसी कड़ी में 26 दिसंबर को भारत मंडपम में वीर बाल दिवस 2025 का राष्ट्रीय कार्यक्रम भी आयोजित होगा. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहेंगे और देशभर से आए बच्चों एवं युवाओं को संबोधित करेंगे. अपने संबोधन में वे राष्ट्र निर्माण में युवा पीढ़ी की महत्वपूर्ण भूमिका और विकसित भारत 2047 (Viksit Bharat@2047) के विजन को रेखांकित करेंगे.

कार्यक्रम की शुरुआत महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी के स्वागत भाषण से होगी. समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से आए स्कूल के छात्र-छात्राओं, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार के विजेताओं तथा अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रहेगी. इसके साथ ही भारत की समृद्ध सभ्यता, संस्कृति और वीरता की परंपरा को दर्शाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जाएंगे.

राष्ट्रीय स्तर के इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण 26 दिसंबर को दोपहर 12:30 बजे से NIC वेबकास्ट, दूरदर्शन न्यूज़ और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के यूट्यूब चैनल पर किया जाएगा, ताकि देश के कोने-कोने में लोग इस ऐतिहासिक अवसर का हिस्सा बन सकें और वीरता के इन उदाहरणों से प्रेरणा ले सकें.

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शहादत की विरासत: साहिबजादों का अदम्य साहस

वीर बाल दिवस का संबंध दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों, बाबा जोरावर सिंह जी (9 वर्ष) और बाबा फतेह सिंह जी (7 वर्ष) से जुड़ा है. 1705 में सिरहिंद में मुग़ल सत्ता द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन के प्रस्ताव को अस्वीकार करने पर दोनों साहिबजादों को अमानवीय यातनाएँ दी गईं और आख़िर में दीवार में जीवित चुनवा दिया गया. इसी दौरान गुरु गोबिंद सिंह जी की माता, माता गुजरी जी का भी थंडे बुर्ज में देहावसान हुआ. इन तीनों ने अपने अदम्य साहस, अटूट आस्था और धर्म की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया, जो भारतीय इतिहास में सदैव अमर रहेगा.

इन्हीं नन्हे वीरों की स्मृति और उनकी प्रेरणादायक शहादत को नमन करते हुए भारत सरकार ने 26 दिसंबर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया. यह दिवस आने वाली पीढ़ियों को साहस, सत्य और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और यह संदेश भी कि उम्र छोटी हो सकती है, लेकिन विचार और संकल्प यदि महान हों तो उनका प्रभाव सदियों तक बना रहता है.

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