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Voter Adhikar Yatra: क्या वोटर अधिकार यात्रा बिहार में बदल पाएगी कांग्रेस की तकदीर?

Rahul Gandhi during Voter Officer Yatra

वोटर अधिकारी यात्रा में राहुल गांधी

Voter Adhikar Yatra: बिहार में अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान भले ही नहीं हुआ हो, लेकिन चुनावी बिगुल बज चुका है. भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) बिहार में वोटर अधिकार यात्रा (Voter Adhikar Yatra) पर निकले हैं. पिछली गलतियों से सबक लेते हुए राहुल गांधी इस बार यात्रा में विपक्षी पार्टियों को साथ लेकर चुनावी अभियान का आगाज करने निकले हैं, जिसमें खासकर तेजस्वी यादव हर कदम पर साथ नजर आ रहे हैं. इस यात्रा के जरिए वे लगातार दावे कर रहे हैं कि जनता नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को चुनावों में सबक सिखाएगी. हालांकि, चुनावों से दूर अभी ये जानना जरूरी है कि वोटर अधिकार यात्रा से कांग्रेस को क्या वाकई फायदा हो सकता है.

16 दिन, 1,300 किमी, 23 जिलें और 50 विधानसभाओं से होकर निकलने वाली यह यात्रा बिहार चुनाव में विपक्ष के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकती है. बता दें कि राहुल गांधी बिहार में सघन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) की आड़ में वोट चोरी का आरोप लगाते हुए इस यात्रा को निकाल रहे हैं. राहुल का कहना है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक में वोट चोरी हुआ था, जिसका फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिला. लेकिन बिहार में वे बीजेपी को वोट चोरी नहीं करने देंगे.

यात्रा की शुरुआत कांग्रेस ने अपने गढ़ से की

वोटर अधिकार यात्रा की शुरुआत वहां से की गई, जहां कभी कांग्रेस का स्ट्रॉन्ग होल्ड रहा करता था, लेकिन धीरे-धीरे पार्टी की जमीन खिसकती चली गई. सासाराम, औरंगाबाद और गया के इलाकों में कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही है. यही वजह है कि यात्रा की शुरुआत सासाराम से की गई. चूंकि, बिहार में कांग्रेस की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही है, ऐसे में पार्टी अपनी स्थिति को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटी है. यही वजह है कि वोटर अधिकार यात्रा बिहार में अपने मजबूत पकड़ वाले इलाकों से शुरू की गई.

वोट प्रतिशत क्या कहता है?

2020 के बिहार विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो महागठबंधन ने कुल 243 सीटों में से 110 सीटें जीती थीं. इसमें कांग्रेस सबसे कम स्ट्राइक रेट (27.14%) से 70 सीटों में से केवल 19 सीटें ही जीत सकी थी. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को 40 सीटों में से केवल एक सीट पर ही जीत मिली थी. ये एक सीट भी कांग्रेस को ही मिली थी, जबकि राजद का खाता नहीं खुला था. 2024 में महागठबंधन की सीटें बढ़कर 9 हो गईं, लेकिन NDA ने 30 सीटें जीतकर बिहार में अपना दबदबा बनाए रखा.

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यात्रा को मिल रहा जनता का समर्थन

वोटर अधिकार यात्रा की बात करें तो, बिहार में राहुल की अगुवाई में निकल रही इस यात्रा में भीड़ नजर आ रही है. राहुल का आम लोगों, किसानों, बुजुर्गों से जाकर मिलना पार्टी की एक अलग छवि बना रहा है. लेकिन चुनावी चाणक्यों की मानें तो अगर यह यात्रा सिर्फ भीड़ तक सीमित रह गई तो असर 1–2% वोट शेयर तक ही रह जाएगा. लेकिन अगर विपक्ष ने सीट बंटवारे में सही रणनीति बनाई, बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय किया और यात्रा के बाद भी लगातार अभियान चलाते रहा, तो 3 से 5% तक का वोट स्विंग संभव है. ऐसी स्थिति में यह वोट स्विंग 20 से 30 सीटों पर नतीजे पलट सकता है.

कुल मिलाकर, वोटर अधिकार यात्रा ने विपक्ष को एकजुटता, सत्ताधारी दल को घेरने और जनता से जुड़ने का एक और मौका दिया है. लेकिन, असल परीक्षा चुनावों में होगी और तब देखना होगा कि क्या यह भीड़ वोट में बदलती है या फिर NDA का मजबूत संगठन फिर से बाजी मार ले जाएगा.

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