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आतंकियों ने बैसरन घाटी को ही क्यों बनाया निशाना? NIA ने उधेड़ दी साजिश की परतें!

Pahalgam Attack

पहलगाम आतंकी हमला

Pahalgam Attack: पहलगाम, जम्मू-कश्मीर का वो खूबसूरत पर्यटन स्थल, जहां हर साल लाखों लोग सुकून की तलाश में पहुंचते हैं. लेकिन 22 अप्रैल 2025 को इस स्वर्ग जैसी जगह पर खून की होली खेली गई. बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने 26 पर्यटकों की जान ले ली और पूरे देश को हिलाकर रख दिया. अब NIA की जांच ने इस हमले के पीछे की साजिश की परतें उघाड़ दी हैं. आखिर आतंकियों ने बैसरन घाटी को ही क्यों चुना? और बेताब घाटी, आरु घाटी और एम्यूजमेंट पार्क जैसे मशहूर स्थानों को क्यों छोड़ दिया? चलिए, सबकुछ विस्तार से जानते हैं.

प्लानिंग थी पक्की

NIA की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, ये हमला कोई अचानक की घटना नहीं थी. आतंकी 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे. तीन दिन तक उन्होंने पूरे इलाके की बारीकी से छानबीन की, मानो कोई फिल्मी विलेन अपनी साजिश रच रहा हो. चार अलग-अलग जगहों, आरु घाटी, बेताब घाटी, एम्यूजमेंट पार्क और बैसरन घाटी की रेकी की गई. लेकिन आखिरकार बैसरन को चुना गया. सवाल ये है कि बैसरन में ऐसा क्या था, जो आतंकियों को भा गया?

आतंकियों का ‘सॉफ्ट टारगेट’ बैसरन घाटी

बैसरन घाटी पहलगाम की एक खूबसूरत जगह है, जहां हरे-भरे मैदान और ट्रेकिंग के रास्ते पर्यटकों को लुभाते हैं. लेकिन यही इसकी कमजोरी भी बन गई. NIA की जांच में पता चला कि बैसरन में कोई स्थायी पुलिस चौकी या सेना की पोस्ट नहीं है. रास्तों पर भी निगरानी बहुत कम थी. बेताब घाटी या एम्यूजमेंट पार्क जैसी भीड़-भाड़ के मुकाबले बैसरन में पर्यटक कम रहते हैं. इससे आतंकियों को हमला करना आसान लगा. वहीं, चार स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) ने आतंकियों को इलाके की पूरी जानकारी दी. इनमें से कुछ ने तो रास्ते दिखाने तक में मदद की. NIA का कहना है कि बैसरन की भौगोलिक स्थिति और कमजोर सुरक्षा ने इसे आतंकियों के लिए ‘आसान शिकार’ बना दिया.

बाकी जगहें क्यों बचीं?

आतंकियों ने आरु घाटी, बेताब घाटी और एम्यूजमेंट पार्क की रेकी तो की, लेकिन वहां हमला करना उनके लिए टेढ़ी खीर था. आइए, जानते हैं क्यों?

आरु घाटी

दरअसल, आरु घाटी पहलगाम से 12 किमी दूर ये घाटी ट्रेकिंग और कोलाहोई ग्लेशियर के लिए मशहूर है. यहां पुलिस और सेना की छोटी-छोटी चौकियां हैं, जो हर गतिविधि पर नजर रखती हैं. पर्यटकों की मौजूदगी और नियमित गश्त ने आतंकियों का हौसला पस्त कर दिया.

बेताब घाटी

पहलगाम से सिर्फ 7 किमी दूर, फिल्म बेताब की शूटिंग वाली ये घाटी पिकनिक के लिए हिट है. वीकेंड पर यहां पर्यटकों की भारी भीड़ और सुरक्षाबलों की मुस्तैदी ने आतंकियों को पीछे हटने पर मजबूर किया. लिद्दर नदी के किनारे बनी इस घाटी में सुरक्षा का कड़ा पहरा रहता है.

एम्यूजमेंट पार्क

पहलगाम बाजार से 1.5 किमी दूर ये पार्क बच्चों और परिवारों का फेवरेट है. पास में पुलिस स्टेशन, सीसीटीवी कैमरे और लगातार पुलिस की गश्त ने आतंकियों के लिए खतरे की घंटी बजा दी. भीड़-भाड़ और निगरानी की वजह से यहां हमला करना उनके लिए नामुमकिन था.

सैटेलाइट फोन और पाकिस्तानी कनेक्शन

NIA की जांच ने कुछ और चौंकाने वाले खुलासे किए. आतंकियों ने हमले की साजिश रचने के लिए तीन सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया. इनमें से दो के सिग्नल ट्रेस कर लिए गए हैं. साथ ही, जांच में ये भी सामने आया कि हमले में शामिल चार आतंकियों में तीन पाकिस्तानी थे, और एक स्थानीय आतंकी था, जिसका नाम आदिल ठोकर है. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े TRF ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. NIA का मानना है कि ये नेटवर्क बहुत बड़ा और संगठित है, जिसमें पाकिस्तान का हाथ साफ दिखता है.

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जांच में अब तक क्या- क्या हुआ?

15 OGWs की पहचान हुई, जिनमें से 5 मुख्य संदिग्धों में 3 हिरासत में हैं. वहीं, 2500 संदिग्धों की जांच चल रही है, जिनमें 186 अभी हिरासत में हैं. NIA का कहना है कि ये नेटवर्क जटिल है, लेकिन वो इसे धीरे-धीरे तोड़ रहे हैं.

पहलगाम का ये हमला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश थी, जिसका मकसद हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाकर डर और नफरत फैलाना था. भारत ने इसका जवाब भी कड़ा दिया है. इंडस वॉटर ट्रीटी को सस्पेंड कर दिया गया और सीमा पर आवाजाही रोक दी गई. NIA की जांच तेजी से चल रही है. सैटेलाइट फोन, OGW और पाकिस्तानी कनेक्शन की कड़ियां जोड़कर इस साजिश के मास्टरमाइंड तक पहुंचने की कोशिश हो रही है.

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