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वो जादुई बक्सा जिसने रातों-रात बदल दी हमारी दुनिया! ATM की अजब कहानी

ATM

जब पहली बार लगा था ATM

ATM: एक ज़माना था जब पैसे निकालने के लिए आपको बैंक खुलने का इंतज़ार करना पड़ता था. लंबी कतारें, बैंक मैनेजर से मिन्नतें और इसके बाद पैसों तक पहुंच. लेकिन फिर आया वो जादुई बक्सा, जिसने रातों-रात हमारी ज़िंदगी को 24×7 आसान बना दिया. जी हां, हम बात कर रहे हैं ATM (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) की.

लंदन में पहली ‘पैसों की मशीन’

आज से ठीक 58 साल पहले, 27 जून 1967 को लंदन के बार्कलेज बैंक की एनफील्ड शाखा में दुनिया का पहला एटीएम लगा था. जिसने भी इसे देखा, वो हैरान रह गया. एक ऐसी मशीन जो इंसानों के बिना ही पैसे दे रही थी, ये उस समय किसी जादू से कम नहीं था. इस क्रांतिकारी आविष्कार के पीछे एक स्कॉटिश जीनियस, जॉन शेफर्ड-बैरन का दिमाग था. मजेदार बात ये है कि जॉन को ये आइडिया नहाते हुए आया था. उन्होंने सोचा, अगर चॉकलेट वेंडिंग मशीन से चॉकलेट निकल सकती है, तो पैसों की मशीन क्यों नहीं बन सकती?

शुरुआती दौर में ये एटीएम आज के एटीएम से काफी अलग थे. तब न तो चिप वाले कार्ड होते थे और न ही आपको चार अंकों का पिन डालना होता था. ग्राहक बैंक से एक खास तरह का वाउचर लेते थे, जिस पर रेडियोएक्टिव कार्बन-14 की निशानी होती थी. एटीएम उस निशानी को पहचानता था और आपको पैसे मिल जाते थे. और हां, उस समय आप एक बार में सिर्फ 10 पाउंड ही निकाल सकते थे. आज के हिसाब से ये भले ही कम लगे, पर उस वक्त ये भी एक बहुत बड़ी सुविधा थी.

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भारत में ‘पैसा निकालने वाला यंत्र

दुनिया में एटीएम आने के 20 साल बाद भारत में भी इस क्रांतिकारी मशीन का आगमन हुआ. साल 1987 में मुंबई में HSBC (हांगकांग एंड शंघाई बैंकिंग कॉर्पोरेशन) बैंक ने भारत का पहला एटीएम लगाया. तब यह भी एक बड़ी खबर थी. लोग इसे देखने आते थे, समझते थे और फिर धीरे-धीरे इसका इस्तेमाल करना शुरू किया. शुरुआती दिनों में एटीएम की संख्या बहुत कम थी, लेकिन धीरे-धीरे यह सुविधा बढ़ती गई और आज तो आपको हर गली-मोहल्ले में एटीएम मिल जाएंगे.

अब सिर्फ पैसे नहीं, और भी बहुत कुछ

सोचिए, सिर्फ 10 पाउंड से शुरू हुआ ये सफर आज कहां पहुंच गया है. आज के एटीएम सिर्फ पैसे निकालने का ज़रिया नहीं हैं. आप अपना बैलेंस चेक कर सकते हैं, मिनी स्टेटमेंट निकाल सकते हैं, चेक जमा कर सकते हैं, मोबाइल रिचार्ज कर सकते हैं, बिल भर सकते हैं और तो और कुछ एटीएम से तो सोने के सिक्के भी मिलते हैं. एटीएम ने सचमुच बैंकिंग को हमारी जेब में पहुंचा दिया है, जब मन चाहे, जहां मन चाहे.

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