Maharashtra Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस अपनी पिछली भूल दोहराना नहीं चाहती. अगले माह महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस अब क्षेत्रीय पार्टियों को सम्मान देने के मोड में है. वह अब अगले विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लेकर चलना चाह रही है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव महाराष्ट्र के दौरे पर हैं.
अब महाराष्ट्र चुनाव के लिए पार्टी नई रणनीति पर काम कर रही है. ऐसी खबर है कि नई रणनीति में क्षेत्रीय पार्टियों को सम्मान देना पड़ेगा, उन्हें भी साथ लेकर चलना ही होगा. असल में सपा प्रमुख अखिलेश यादव महाराष्ट्र दौरे पर आ रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चा है कि अखिलेश का यह दौरा राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर है.
खबरें यह भी है कि अखिलेश यादव महाराष्ट्र दौरे के दौरान महा विकास अघाड़ी के साथ सीट शेयरिंग पर मंथन करने गए हैं. जानकारी का मुताबिक कई सीटों को लेकर इंडी गठबंधन के बीच पहले ही सहमति बन चुकी है. हाल ही में महा विकास अघाड़ी की मीटिंग में मुंबई की 36 में से 33 सीटों पर सहमति बन गई है, एक तरफ उद्धव गुट 18 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं 15 सीटें कांग्रेस को दी गई हैं. इसी तरह शरद पवार के गुट को 2 सीटें दी गई है एक सीट सपा के लिए छोड़ी गई. अभी कुर्ला, भायखला और अमुशक्ति सीट पर पेच फंसा हुआ है.
अखिलेश की रणनीति क्या ?
समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में 10 से 12 सीटों की उम्मीद में है. पार्टी का कहना है कि पिछली बार उसके दो विधायक जीते थे. इस बार ज्यादा सीटों पर उसे दांव ठोकना है. अखिलेश यादव महाराष्ट्र की मुस्लिम बाहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की कोशिश में लगे हुए हैं. बता दें, मुंबई में उत्तर भारतीय मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक है. इस वजह से सपा इंडिया गठबंधन से सम्मानजक सीटों की उम्मीद लगा रही है.
कांग्रेस का सबक
हरियाणा में मिली हार के बाद इंडिया गठबंधन सपा को दो से ज्यादा सीटें दे सकता है. इसका मतलब 10 से 12 सीट सपा को नहीं दी जाएगी. सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस ही राज्य में चुनाव लड़ने वाली है. बाकी सीटें शरद पवार और उद्धव गुट में बंटेगी.
यह भी पढ़ें: Bahraich Violence: मुख्यमंत्री कार्यालय से हो रही निगरानी, जुमे की नमाज के लिए बढ़ी सुरक्षा, प्रशासन कर रहा रूट मार्च
इधर अखिलेश यादव ने यह साफ कर दिया है कि अगर सीटों का ऐलान उन्हें कॉन्फिडेंस में लिए बिना हुआ तो पार्टी हर मजबूत सीट पर चुनाव लड़ेगी. ऐसे में जिस तरह से हरियाणा में सीटें ना जीतकर भी कांग्रेस का खेल बिगाड़ा, वैसा ही खेल महाराष्ट्र में भी हो सकता है.