EVM-VVPAT: 2024 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में हारे हुए करीब एक दर्जन उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग का दरबाजा खटखटाया है. हारे हुए उम्मीदवारों ने चुनाव आयोग से ईवीएम में दर्ज वोटिंग के आंकड़े और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान यानी मेमोरी वेरिफिकेशन कराने की गुहार लगाई गई है. चुनाव आयोग के पास जो अर्जियां आई हैं उनमें से ज्यादातर में 1 से तीन बूथों की मशीनों के मिलान की बात कही गई है. ओडिशा के झाड़सुगुड़ा विधानसभा क्षेत्र से हारीं बीजेडी उम्मीदवार दीपाली दास ने सबसे ज्यादा 13 मशीनों की मेमोरी वेरिफाई करने की अर्जी दी है.
सभी पार्टियों से आए हैं अनुरोध
ऐसा माना जा रहा है कि ये अनुरोध सभी पार्टियों से आए हैं.भाजपा के अहमदनगर (महाराष्ट्र) के उम्मीदवार सुजय राधाकृष्ण विखेपाटिल ने विधानसभा क्षेत्रवार ईवीएम-वीवीपीएटी इकाइयों के वेरिफिकेशन की मांग की है. वे एनसीपी के नीलेश ज्ञानदेव लंके से 28,929 वोटों से हार गए थे. पोर्ट के मुताबिक, अधिकांश असंतुष्ट उम्मीदवारों ने केवल 1-3 ईवीएम-वीवीपीएटी इकाइयों के सत्यापन की मांग की है. मामले से जुड़े अधिकारियों ने कहा, “कई अरोध दायर किए गए हैं और इसके लिए भुगतान भी किया गया है. अधिकांश उम्मीदवारों ने 1-2 मशीनों के सत्यापन की मांग की है.” बता दें कि छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जैसे राज्यों में एक भी अनुरोध दायर नहीं किया गया है.
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40 हजार रुपये शुल्क जमा करना जरूरी
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ईवीएम और वीवीपैट के मेमोरी वेरिफिकेशन के लिए प्रति मशीन 40 हजार रुपये और उस पर 18 फीसदी जीएसटी एडवांस जमा करना पड़ता है. आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों को टीम सभी के सामने डाटा वेरिफाई करती है. अगर शिकायत सही मिली यानी ईवीएम डेटा और पर्चियों के बीच अनियमितता यानी गड़बड़ पाई गई तो कार्रवाई होगी और शिकायतकर्ता को पूरा शुल्क वापस किया जाएगा. अगर शिकायत सही साबित नहीं होती है तो शुल्क वापस नहीं किया जाता है.