Adani Group On Hindenburg Report: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की नई रिपोर्ट आने के बाद से हंगामा मचा हुआ है. अब अडानी समूह ने शनिवार देर शाम आई रिपोर्ट अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के द्वारा लगाए गए आरोपों से इनकार करते हुए रविवार को कहा कि सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के साथ उसका कोई कमर्शियल कनेक्शन नहीं है, जिसका दावा हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में किया गया है.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खंडन करते हुए अडानी समूह ने कहा कि रिपोर्ट में जिन लोगों या जिन मामलों का जिक्र किया गया है, उनसे कमर्शियली अडानी समूह का कोई लेना-देना नहीं है. हिंडनबर्ग रिसर्च के द्वारा शनिवार को देर शाम में जारी की गई सनसनीखेज रिपोर्ट पर अडानी समूह की यह पहली प्रतिक्रिया है. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कुछ विदेशी फंड में विनोद अडानी व उनके करीबी सहयोगियों और सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच दोनों ने निवेश किया था.
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अडानी ग्रुप ने आरोपों को किया खारिज
समूह ने अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को भी खारिज कर दिया. अडानी समूह ने कहा कि उसकी कंपनियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को वह खारिज करता है और फिर से अपनी बात को दोहराता है कि उसकी विदेशी होल्डिंग का स्ट्रक्चर पूरी तरह से पारदर्शी है. हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी समूह को लेकर कहा गया है कि उसने कंपनियों का जाल बुनकर फंड को इधर से उधर किया.
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— Vistaar News (@VistaarNews) August 11, 2024
पहले भी रिपोर्ट जारी चुका है हिंडनबर्ग
अडानी समूह और हिंडनबर्ग रिसर्च का मामला कोई नया नहीं है. यह आज से लगभग डेढ़ साल पहले पिछले साल जनवरी में उस समय शुरू हुआ था, जब हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के खिलाफ अपनी पहली सनसनीखेज रिपोर्ट जारी की थी. उसमें हिंडनबर्ग ने अडानी समूह के ऊपर शेयरों के भाव चढ़ाने समेत फंड के हेर-फेर जैसे गंभीर आरोप लगाया था. साथ ही हिंडनबर्ग ने उसे कॉरपोरेट वर्ल्ड के इतिहास का सबसे बड़ा फ्रॉड करार दिया था. हिंडनबर्ग की उस रिपोर्ट से अडानी समूह को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और उसकी कंपनियों के एमकैप में 80 बिलियन डॉलर से ज्यादा की गिरावट आई थी.
“हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप आधारहीन”
अमेरिकी शॉर्ट सेलर की ओर से लगाए गए इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार की सुबह-सुबह जारी एक बयान में कहा कि 10 अगस्त को आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोप आधारहीन हैं और इनमें किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और फाइनेंस खुली किताब की तरह है. हमें जो भी खुलासे करने की जरूरत थी, वो सारी जानकारियां बीते सालों में सेबी को दी गई हैं.