Sonia Gandhi: 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोनिया गांधी का राजस्थान से राज्यसभा के लिए नामांकन पत्र भरे जाने के बाद उनके पुश्तैनी सीट उत्तर प्रदेश के रायबरेली को लेकर राजनीति तेज हो गई है. सोनिया गांधी नेहरू परिवार से दूसरी ऐसी सदस्य होंगी जो राज्यसभा जा रही हैं. इससे पहले देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी राज्यसभा सदस्य रह चुकी हैं. वहीं सोनिया गांधी का रायबरेली लोकसभा सीट छोड़ कर राज्यसभा जाना कई प्रश्न खड़े करता है. वर्ष 1952 में फिरोज गांधी पहली बार रायबरेली से जीत हासिल कर संसद पहुंचे थे.
सोनिया गांधी के लिए कितना खास रहा रायबरेली?
सोनिया गांधी ने साल 1999 में उत्तर प्रदेश के अमेठी और कर्नाटक के बेल्लारी से अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था. सोनिया गांधी को दोनों जगह से जीत हासिल हुई लेकिन उन्होंने बेल्लारी लोकसभा सीट को छोड़ दिया और अमेठी से सांसद बनी रही. इसके बाद साल 2004 में उन्होंने अमेठी लोकसभा सीट को छोड़कर रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल किया. इतिहास की पन्नों को पलटे तो वर्ष 1952 में फिरोज गांधी ने पहली बार रायबरेली सीट से चुनाव जीता था. साथ ही इंदिरा गांधी भी वर्ष 1967, 1971 और 1980 में रायबरेली सीट से चुनाव जीत चुकी हैं. सोनिया गांधी के लिए रायबरेली लोकसभा सीट काफी भाग्यशाली रहा और वह साल 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी इसी सीट से चुनाव जीत चुकी हैं.
अमेठी सीट का इतिहास?
अमेठी लोकसभा सीट भी कांग्रेस के पुश्तैनी सीटों में से एक है. वर्ष 1980 में संजय गांधी ने इस सीट से चुनाव लड़ा था. उसके बाद वर्ष 1984, 1989 और 1991 में इस सीट से राजीव गांधी ने चुनाव लड़ा। उसके बाद साल 1999 में सोनिया गांधी और उसके बाद वर्ष 2004 से लेकर 2019 तक राहुल गांधी इस सीट से चुनाव लड़ते रहे. हालांकि साल 2019 में अमेठी सीट राहुल गांधी के हाथों से निकल गई और स्मृति ईरानी ने इस सीट पर अपना कब्जा जमा लिया.
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रायबरेली से आगे कौन लड़ेगा चुनाव?
सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बीच आगामी लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट को लेकर चर्चाएं तेज हैं. कयास लगाए जा रहें हैं कि उनकी बेटी और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकती हैं, लेकिन फिर सवाल यह भी है कि अमेठी सीट किसके हाथ में जायेगा? क्योंकि पिछली लोकसभा में अमेठी सीट पर राहुल गांधी को मिली हार के बाद अमेठी को लेकर भी गांधी परिवार में चिंता जग जाहिर है.