Yashwant Singh Case: दिल्ली पुलिस को बड़ा झटका लगा है. वरिष्ठ पत्रकार और भड़ास के संपादक यशवंत सिंह के खिलाफ दर्ज किए गए मामले में फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (FSL) की जांच रिपोर्ट आ गई है, जो पुलिस के दावों की पोल खोलती है. पुलिस ने यशवंत सिंह पर सिग्नल मैसेंजर एप के जरिए ब्लैकमेलिंग और रंगदारी के आरोप लगाए थे, लेकिन जांच में पाया गया कि उनके फोन पर सिग्नल एप इंस्टॉल ही नहीं था.
फर्जी चैट्स का सच आया सामने
कुछ दिन पहले पुलिस ने दावा किया था कि उन्हें यशवंत सिंह के फोन से सिग्नल एप की चैट्स मिली हैं, जिनका इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए किया गया. लेकिन एफएसएल जांच में यह साफ हो गया कि सिग्नल एप का उनके फोन में कोई अस्तित्व ही नहीं था. रिपोर्ट से यह भी साफ हुआ कि जो चैट्स पुलिस ने सबूत के रूप में पेश की थीं, वे पूरी तरह से फर्जी थीं.
अब आदत सी हो गई है- यशवंत सिंह
इस खुलासे के बाद यशवंत सिंह ने अपने बयान में कहा, “सोचिए, कितनी मेहनत की गई. मेरा फर्जी प्रोफाइल बनाया गया, फिर उससे चैट्स की गईं और उनका प्रिंट निकाल कर पुलिस को दिया गया. पर अब यह सब देखकर मुझे हैरानी नहीं होती. सैकड़ों से ज्यादा मुकदमे और आरोपों का सामना कर चुका हूं, अब तो आदत-सी हो गई है.”
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“या तो बिक जाओ, या जेल जाओ”
यशवंत सिंह ने पत्रकारिता के मौजूदा हालात पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा, “आजकल पत्रकारिता में बीच का कोई रास्ता नहीं बचा है. या तो आप बिक जाओ, या फिर जेल जाने के लिए तैयार रहो. दिल्ली पुलिस का स्तर पहले कभी इतना गिरा हुआ नहीं था. अब कोई भी व्यक्ति खुद को किसी बड़े नेता का खास बताकर फर्जी मुकदमा दर्ज करवा सकता है.” इस रिपोर्ट ने यशवंत सिंह पर लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद साबित कर दिया है और पुलिस की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं.