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Lok Sabha Election: BJP-BJD के बीच नजदीकियों से बढ़ सकती है ‘INDI’ गठबंधन की टेंशन, जानें किस वजह से दोनों दलों के बीच आई थी ‘दरार’

BJP-BJD Alliance, Lok Sabha Election

पीएम मोदी और सीएम नवीन पटनायक

BJP-BJD Alliance for Lok Sabha Election: देश में जल्द लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. सियासी समीकरण को साधने के लिए गठबंधन के ताने-बाने बुने जा रहे हैं. वहीं आगामी चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी के लिए 370 से अधिक और पार्टी के अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के लिए 400 से अधिक का लक्ष्य रखा है. इसी क्रम में ओडिशा की सत्ताधारी बीजू जनता दल और BJP के बीच बढ़ रही नजदीकियों को लेकर सियासी गलियारों में अटकलों का दौर जारी है. वहीं राजनीतिक धुरंधर भी इस परिणाम पर नजर बनाए हुए हैं.

BJD ने हमेशा किया है BJP का समर्थन

बताते चलें कि बीजेडी ने केंद्र सरकार के पक्ष में ही मतदान किया है. इसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम, जीएसटी, दिल्ली अध्यादेश और सर्जिकल स्ट्राइक, नोटबंदी, वन नेशन वन इलेक्शन जैसे मुद्दे शामिल हैं. 1998 में पहली बार लोकसभा में अपने फॉर्मूले से हैरान कर देने वाले दोनों दलों ने 2000 और 2004 में विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा. 2000 के चुनाव में नवीन पटनायक पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद 2009 में गठबंधन टूट गया.

VHP नेता की हत्या के बाद टूटा गठबंधन

अगस्त, 2008 में राज्य के कंधमाल जिले में विश्व हिंदू परिषद के एक नेता लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या हुई. कहा जाता है कि VHP नेता ईसाई धर्म में कथित धर्मांतरण के खिलाफ अभियान का नेतृत्व किया था. इसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों में 38 लोग मारे गए, जिससे दोनों दलों के बीच विवाद हो गया. इस विवाद के बाद 2009 के चुनावों से ठीक पहले बीजेडी ने गठबंधन से खुद को अगल कर लिया.

1997 में हुआ था BJD का गठन

लोकप्रिय नेता और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद उनके साथ के लोगों ने 26 दिसंबर, 1997 को एक क्षेत्रीय पार्टी बीजेडी का गठन किया. इस दौरान राज्य में कांग्रेस पार्टी राज्य में सबसे मजबूत पार्टी थी और वहीं BJP अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही थी. इसलिए अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी सहित बीजेपी के उस समय के शीर्ष नेतृत्व ने BJD को अपने साथ लेने की पहल शुरू की.

दोनों ने 1998 में लड़ा पहला चुनाव

नतीजतन बीजेपी और बीजेडी एक साथ अपना पहला लोकसभा चुनाव साल 1998 में लड़ा, जिसमें बीजेडी ने 12 सीटों में से 9 पर जीत हासिल की. वहीं साथी दल BJP ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा और 7 सीटों पर जीत हासिल की. बीजेडी को 27.5 और BJP को 21.2 मिलाकर 48.7 फीसदी वोट शेयर मिले. वहीं 16 सीटों पर लड़ने वाली जनता दल राज्य में अपना खाता तक नहीं खोल सकी और उसका वोट शेयर घटकर सिर्फ 4.9% रह गया. इसके बाद केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी लेकिन कुछ समय तक ही चल पाई.

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1999 में भी BJP-BJD ने किया कमाल

सरकार गिरने के बाद देश में फिर से 1999 के लोकसभा चुनाव हुए. इस बार भी दोनों दलों ने पुराने फॉर्मूले को दोहराया. राज्य में 57.6% वोट शेयर के साथ कुल 21 सीटों में से BJD ने 33% वोटों के साथ 10 सीटें जीतीं, वहीं BJP ने 24.6% के साथ 9 सीटें पर जीत दर्ज की. दोनों दलों का यह तिलिस्म 2004 में भी जारी रहा. BJP-BJD ने 21 सीटों में से 18 सीटें जीतीं. इस बार बीजेडी ने 30% वोट के साथ 11 सीटें और बीजेपी ने 19.3% वोट शेयर के साथ 7 सीटों पर अपना परचम लहराया.

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गठबंधन से अलग होने पर नुकसान हुआ BJP को

बीजेडी के गठबंधन से अलग होने का खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा और साल 2009 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने लगभग सभी सीटों 147 में से 145 पर चुनाव लड़ा और सिर्फ 15.5% वोटों के साथ 6 सीटों पर जीत दर्ज कर पाई. वहीं 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 16.9% वोट हासिल करने के बावजूद अपना खाता नहीं खोल सकी. जबकी BJD ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की. वहीं 2014 में मोदी लहर के बाद भी ओडिशा में BJP सिर्फ 1 सीट जीत पाई, जबकी BJD ने 20 सीटों पर बड़ी जीत दर्ज की. 2019 में 17वीं लोकसभा के चुनाव में BJP ने 8 और BJD ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की.

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