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Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के बीच अलर्ट पर BSF, बॉर्डर एरिया में बढ़ाई चौकसी

Bangladesh Violence

बांग्लादेश में बवाल के बाद बॉर्डर पर बीएसएफ जवानों ने संभाला मोर्चा

Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हिंसा के बीच शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है. पीएम आवास पर प्रदर्शनकारियों ने कब्जा कर लिया है.  इस बीच सेना ने शांति की अपील की है. कहा ये भी जा रहा है कि हसीना दिल्ली आ सकती हैं और यहां से लंदन रवाना हो सकती हैं. वहीं भारत ने भी सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है. पड़ोसी देश में भड़की हिंसा के बीच भारत सरकार ने कई एहतियाती कदम उठाए हैं. बीएसएफ ने बॉर्डर एरिया में चौकसी बढ़ा दी है. सेना के डीजी पश्चिम बंगाल पहुंच गए हैं. रविवार को फिर से भड़की हिंसा में अब तक 19 पुलिसकर्मियों समेत 100 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है. हालात ये हैं कि पूरे देश में अनिश्चित काल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है और इंटरनेट भी बैन कर दिया गया है.

प्रदर्शनकारी छात्र नहीं बल्कि आतंकी हैं: हसीना

प्रदर्शनकारियों ने कई घरों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है. सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया है. यह बवाल तब और बढ़ गया जब हसीना ने कहा कि प्रदर्शनकारी छात्र नहीं बल्कि आतंकी हैं. उन्होंने कहा कि देशवासियों से मैं अपील कर रही हूं कि इन आतंकियों को सख्ती से कुचलें. इस्तीफा देने से पहले हसीना ने सेना के साथ एक आपात बैठक भी की थी. वहीं प्रदर्शनकारियों ने टैक्स बिल का भुगतान न करने की अपील की थी. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगले तीन दिनों तक कोई भी दफ्तर न जाएं.

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भारत सरकार ने जारी की एडवाइजरी

भारत ने बांग्लादेश में रहने वाले अपने नागरिकों से संपर्क में रहने और सतर्क रहने को कहा है. बांग्लादेश में भारत के सहायक उच्चायोग की तरफ से जारी एक सोशल मीडिया में पोस्ट में कहा गया, सिलहट स्थित भारतीय सहायक उच्चायोग के अधिकार क्षेत्र में रहने वाले छात्रों सहित सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध है कि इस कार्यालय के संपर्क में रहें और सतर्क रहें. किसी आपात स्थिति में +88-01313076402 पर संपर्क करें. वहीं खबर ये भी आ रही है कि बांग्लादेश में रह रहे भारतीय नागरिकों को वापस लाने की तैयारी भी शुरू हो गई है. भारत सरकार ने दूतावास को अलर्ट मोड पर रहने को कहा है.

बांग्लादेश में कैसे शुरू हुई थी हिंसा?

कहानी 1971 से शुरू होती है. ये वो साल था जब मुक्ति संग्राम के बाद बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मिली. एक साल बाद 1972 में बांग्लादेश की सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 फीसदी आरक्षण दे दिया. इसी आरक्षण के विरोध में इस वक्त बांग्लादेश में प्रदर्शन हो रहे हैं. यह विरोध जून महीने के अंत में शुरू हुआ था तब यह हिंसक नहीं था. हालांकि, मामला तब बढ़ गया जब इन विरोध प्रदर्शनों में हजारों लोग सड़क पर उतर आए. 15 जुलाई को ढाका विश्वविद्यालय में छात्रों की पुलिस और सत्तारूढ़ अवामी लीग समर्थित छात्र संगठन से झड़प हो गई. इस घटना में कम से कम 100 लोग घायल हो गए. अब तो यह हालात हैं कि 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.

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