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बिहार चुनाव से पहले निकल आया ‘चारा घोटाले’ का जिन्न! आरोपियों से होगी 950 करोड़ की वसूली, CM नीतीश ने की है खास तैयारी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव

Bihar Fodder Scam: अगर आपको लगता है कि चारा घोटाला एक पुरानी कहानी है और अब इसमें कुछ खास नहीं बचा, तो रुकिए! यह मामला जितना पुराना है, उतना ही गंभीर भी है. एक वक्त था, जब बिहार में चारा घोटाला नामक एक घोटाला हुआ, और यह इतना बड़ा था कि उसकी गूंज आज भी सुनाई देती है.

चारा घोटाला से जुड़ी कहानी 1990 के दशक से शुरू होती है, जब बिहार के पशुपालन विभाग में 950 करोड़ रुपये का गबन किया गया. सरकारी खजाने से फर्जी बिल और झूठे दस्तावेजों के जरिए पैसों की चोरी हुई और यह पैसा आखिरकार कुछ राजनीतिक नेताओं और अधिकारियों के खाते में चला गया.

लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्रा जैसे बड़े नाम इस घोटाले में शामिल थे. इस घोटाले ने सिर्फ बिहार की राजनीति को ही नहीं, बल्कि देश की राजनीति को भी हिलाकर रख दिया. यह मामला सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं था, बल्कि यह झारखंड और देशभर में एक बड़ा मुद्दा बन गया. लालू यादव इस घोटाले में सजायाफ्ता भी हैं.

रकम वसूली की तैयारी में नीतीश सरकार

अब, 25 साल बाद बिहार की नीतीश सरकार एक नई रणनीति के साथ सामने आई है. सरकार 950 करोड़ रुपये वसूलने की तैयारी कर रही है. सीबीआई और इंकम टैक्स के साथ मिलकर, नीतीश सरकार दोषियों से यह रकम वापस लाने के लिए कोर्ट में दस्तक देने वाली है. लेकिन यह सफर आसान नहीं होने वाला, क्योंकि इसमें कई संगीन सवाल और राजनीतिक दांव-पेच भी शामिल हैं.

चारा घोटाला कैसे हुआ था?

असल में बिहार के पशुपालन विभाग को केंद्र सरकार से पैसे मिलते थे ताकि जानवरों के इलाज और उनके खाने-पीने पर खर्च हो सके. मगर उन पैसों का क्या हुआ? वह सरकारी पैसा फर्जी कंपनियों और झूठे सप्लायर के नाम पर निकाला गया और नेताओं और अधिकारियों की जेबों में चला गया.

यह घोटाला तब सामने आया जब भागलपुर में जांच शुरू हुई और धीरे-धीरे पता चला कि यह सिर्फ एक जिले का मामला नहीं था, बल्कि बिहार के कई हिस्सों में यह खेल हो रहा था. फ़र्जी बिल, झूठी सप्लाई चेन – इन सबके जरिए एक पूरी बड़ी चोरी हो रही थी, और इसमें कई बड़े नेता और अधिकारी शामिल थे.

नीतीश सरकार का बड़ा कदम

अब, नीतीश कुमार की सरकार इस पैसे को वापस लाने की कोशिश कर रही है. सरकार का लक्ष्य साफ है. 950 करोड़ रुपये वसूलने के लिए एक बड़ी आर्थिक लड़ाई लड़ी जा रही है. इसके लिए सरकार ने सीबीआई और इंकम टैक्स से मदद ली है, ताकि यह रकम वापस लाई जा सके. इसके अलावा, कोर्ट में भी मामला चल रहा है और सरकार पूरी तैयारी के साथ इस मामले को लेकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है. यह सिर्फ बिहार के लिए नहीं, बल्कि देशभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी जीत साबित हो सकती है.

अब सवाल यह है कि वह रकम आज की तारीख में कितनी बड़ी हो गई है, क्योंकि 950 करोड़ रुपये की रकम आज के समय में कहीं ज्यादा बड़ी रकम बन चुकी है.

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दोषियों से वसूली का तरीका

वसूली का तरीका भी बड़ा दिलचस्प है. पहले से ही सरकार ने दोषियों की संपत्तियां जब्त करनी शुरू कर दी हैं, जैसे मकान, ज़मीन, और अन्य संपत्तियां. अगर यह वसूली सफल होती है, तो बिहार में यह एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है. इससे उन नेताओं के नाम फिर से चर्चा में आ सकते हैं जो इस घोटाले में शामिल थे. और इस मुद्दे के साथ चुनावी मैदान में उतरना नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा राजनीतिक फायदा हो सकता है.

तो यह थी चारा घोटाला की पूरी कहानी. सत्ता का गलत इस्तेमाल, जनता के पैसे की लूट, और राजनीतिक ड्रामा – यह सब कुछ एक साथ हुआ था. अब देखना यह है कि नीतीश सरकार क्या कदम उठाती है, और क्या यह रकम सरकार के खजाने में वापस आ पाएगी या फिर यह एक और खोई हुई उम्मीद बनकर रह जाएगी?

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