Karpoori Thakur: बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा. उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाएगा. राष्ट्रपति भवन द्वारा एक बयान जारी कर इस संबंध में जानकारी दी गई है. बता दें कि कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को 100वीं जयंती है. इसके पहले, उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है.
मोदी सरकार का बड़ा ऐलान
केंद्र सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया गया है. उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा.#Bihar #KarpooriThakur #BharatRatna #VistaarNews pic.twitter.com/jp8XgdVT2z
— Vistaar News (@VistaarNews) January 23, 2024
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग समय-समय पर उठती रही है. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग उठाती रही है. इस बीच, पीएम नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के ऐलान पर खुशी जाहिर की है.
मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024
पीएम मोदी ने जताई खुशी
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है. पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी ठाकुर की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है. यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा.”
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‘जननायक’ के रूप में लोकप्रिय रहे कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर भारत के एक प्रशिक्षित स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं. कर्पूरी ठाकुर 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे. लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था. उनका जन्म समस्तीपुर के एक पितौंझिया गांव (अब कर्पूरीग्राम) में 24 जनवरी 1924 को हुआ था. इनके पिता गोकुल ठाकुर गांव के सीमांत किसान थे और नाई का काम करते थे.