Bihar News: बिहार के सीएम नीतीश कुमार अपनी राजनीतिक चाल से अपने सहयोगियों को चौंकाने के लिए हमेशा जाने जाते रहे हैं. एक बार फिर उनके बयान और सियासी मुलाकात सहयोगियों के साथ ही विरोधियों में भी चर्चा का विषय बने हुए हैं. यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार को राजनीति का असली जादूगर माना जाता है.
दरअसल, बिहार जैसे राजनीति में मंझे हुए राज्य से बिना किसी बहुमत के नीतीश कुमार में करीब दो दशक से सीएम बने हुए हैं. नीतीश कुमार करीब दो दशक में आठ बात बिहार के सीएम रहे चुके हैं लेकिन उनकी पार्टी जेडीयू को एक बार भी अभी तक राज्य में बहुमत नहीं मिली है. लेकिन इसके बाद भी नीतीश कुमार अपनी कुर्सी को हमेशा बचाए रख पाने में सफल रहे हैं.
इतना ही नहीं नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि जब उनके करीबी किसी नेता का कद उनके ऊपर जाता नजर आया तो उस नेता को उन्होंने ठीकाने लगा दिया. इस लिस्ट में सबसे पहला नाम आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का है. 1996 में जब लालू यादव सीएम थे और उनकी नीतीश कुमार से खटपट हुई तो बीजेपी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले गए.
लालू परिवार को दी मात
इसके बाद उन्होंने लालू यादव को सत्ता से बाहर करके ही दम लिया. वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रहे और फिर बिहार के सीएम भी बने. हालात ये हुई कि बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर कांग्रेस और आरजेडी को बिहार से 2009 के लोकसभा चुनाव और फिर विधानसभा चुनाव में साफ कर दिया. इन चुनावों के दौरान लालू परिवार के लोग भी चुनाव हार गए.
लेकिन इसके बाद 2013 में बीजेपी ने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना पीएम फेस बनाया तो नीतीश कुमार ने बागी तेवर दिखाए और अपने धूर विरोधी लालू यादव के साथ मिलकर सरकार बना ली. चुनाव में बीजेपी की रिकॉर्ड जीत हुई और नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी पर दांव लगा दिया. लेकिन उनकी ये चाल गलत साबित हुई.
दो दशक बाद आरजेडी के साथ
हालांकि कुछ ही महीनों में उन्होंने अपनी गलती सुधारी और जीतन राम मांझी को किनारे लगा दिया. इसके बाद फिर बिहार के सीएम बन गए. ये चौथा मौका था जब उन्होंने बिहार के सीएम के तौर पर शपथ ली थी. उन्होंने दो दशक बाद बीजेपी को हराने के लिए आरजेडी-कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया और चुनाव लड़े. महागठबंधन की इस चुनाव में बड़ी जीत हुई.
लेकिन बीते लोकसभा चुनाव से पहले ही लालू परिवार का साथ छोड़ा और बीजेपी के साथ फिर वापस चले आए. लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ लड़ा और रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन राज्य में केवल एक सीट जीत पाया था. इस जीत के एक साल बाद बिहार में विधानसभा चुनाव हुए और इस गठबंधन ने चुनाव में जीत दर्ज की.
इस जीत के करीब एक साल बात उन्होंने फिर से पाला बदला और आरजेडी के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली. नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर आठवीं बार शपथ ली. गौरतलब है कि इस दौरान जिस नेता ने भी उनके कद को चुनौती देने की कोशिश की उसे नीतीश कुमार ने ठीकाने लगा दिया.
ये नेता बने चुनौती
सीएम नीतीश कुमार ने लालू यादव, फिर अपने राजनीतिक गुरु जार्ज फर्नांडीज, लल्लन सिंह, सुशील कुमार मोदी, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, राम विलास पासवान, शरद यादव और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं के पॉलिटिक्ट करियर को ठीकाने लगा दिया. राजनीति के जानकार बताते हैं कि ये सभी नेता किसी न किसी वक्त में उनके लिए चुनौती बन गए थे.
मंगलवार को मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का फैसला किया. नीतीश कुमार को मोदी सरकार का ये फैसला खुब रास आया. इस फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया. इसके बाद उस पोस्ट को डिलिट कर अगला पोस्ट किया और पीएम नरेंद्र मोदी को शुभकामनाएं दी.
अब उनकी अंतरात्मा में क्या?
इसके अलावा बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर मुलाकात कर फिर उन्होंने अटकलों को हवा दे दी. अभी ये अटकलें थमी भी नहीं थी कि नीतीश कुमार ने परिवारवाद को लेकर एक ऐसा बयान दिया जो सीधे तौर पर लालू परिवार के ऊपर निशाना माना गया.
उन्होंने कहा, ‘बहुत लोग अपने परिवार को राजनीति में बढ़ावा देते हैं. लेकिन मैंने कर्पुरी जी की तरह कभी भी अपने परिवार को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया.’ नीतीश कुमार के इस बयान पर बवाल हो गया और इसे लालू परिवार के खिलाफ संदेश मान लिया गया. उनके इस बयान के बाद राजनीति के हर जानकार कहने लगे कि नीतीश कुमार की अंतरात्मा बदल गई है और वो एनडीए में आ सकते हैं.