भारत में हुई मौत, नेपाल में जिंदा हुआ शख्स…किसी को भी हैरान कर सकती है बिहार की ये रहस्यमयी कहानी!
मुर्दा घोषित भोला राम
Bihar News: बिहार के दरभंगा जिले के सिमरा निहालपुर गांव के भोला राम की जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया कि लोग दंग रह गए. जिस शख्स को मृत घोषित कर सड़क जाम और हंगामा हुआ, वही भोला राम अचानक दरभंगा व्यवहार न्यायालय में जिंदा खड़ा था. उसने न सिर्फ अपने जिंदा होने का सबूत पेश किया, बल्कि एक ऐसी कहानी सुनाई जिसने पुलिस, परिजनों और पूरे इलाके को हैरत में डाल दिया है. आखिर क्या है ये पूरा माजरा? चलिए, विस्तार से जानते हैं.
मृत्यु से शुरू हुआ ‘खेल’
बात 8 फरवरी की है, जब भोला राम के परिवार ने मब्बी थाने में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की. परिजनों का कहना था कि भोला कहीं लापता हो गया है. पुलिस ने इस मामले में ज्यादा ध्यान नहीं दिया, जिसका खामियाजा बाद में भुगतना पड़ा. फिर 26 फरवरी को एक बड़ा हादसा सामने आया. दोनार अललपट्टी रेलवे ट्रैक के पास कुछ स्थानीय लोगों को एक युवक घायल हालत में मिला. उसके दोनों हाथ और पैर कटे हुए थे, और हालत बेहद नाजुक थी.
लोगों ने फौरन उसे दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (DMCH) में भर्ती करवाया. जब परिजनों को इसकी खबर मिली, तो भोला का भाई धीरज राम और परिवार के अन्य लोग अस्पताल पहुंचे. उन्होंने उस घायल युवक को भोला राम के रूप में पहचान लिया. दो दिन तक उसका इलाज चला, लेकिन तीसरे दिन उसकी मौत हो गई.
सड़क जाम, हंगामा और थानेदार पर एक्शन
युवक की मौत के बाद परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिवधारा-आजमनगर सड़क को जाम कर दिया और जमकर हंगामा किया. मामला इतना गर्माया कि SSP जगुनाथ रेड्डी को तुरंत कार्रवाई करनी पड़ी. मब्बी थाने के थानेदार दीपक कुमार को निलंबित कर दिया गया. सबको लग रहा था कि भोला राम की कहानी यहीं खत्म हो गई. लेकिन असल ड्रामा तो अभी बाकी था.
जिंदा भोला राम की चौंकाने वाली एंट्री
कुछ दिन बाद, दरभंगा व्यवहार न्यायालय में एक शख्स खड़ा था, जिसने दावा किया कि वह भोला राम है और पूरी तरह जिंदा है. यह सुनकर हर कोई हैरान रह गया. आखिर जिस शख्स की मौत के बाद सड़क जाम हुई, थानेदार निलंबित हुआ, वह जिंदा कैसे हो सकता है? भोला ने अपनी आपबीती सुनाई, जो किसी थ्रिलर मूवी से कम नहीं थी.
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दरभंगा में सोया, नेपाल में जागा!
भोला ने बताया कि उसे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के नागेंद्र झा स्टेडियम के पास कुछ लोग मिले. उन्होंने उसके मुंह पर रुमाल रखा, जिससे वह बेहोश हो गया. जब होश आया, तो वह नेपाल में था. भोला ने बताया कि वह वहां से किसी तरह अपने परिजनों से संपर्क करने की कोशिश करता रहा. उसने व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिए परिवार को फोन किए, लेकिन शुरू में परिजनों ने कॉल काट दिए. आखिरकार, एक-दो दिन पहले जब परिजनों ने उसका कॉल उठाया, तो भोला ने पूरी कहानी बताई.
परिजन फौरन नेपाल पहुंचे और भोला को वापस भारत लेकर आए. घर पहुंचते ही भोला ने अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए दरभंगा कोर्ट में हाजिरी दी. लेकिन इस कहानी ने कई सवाल खड़े कर दिए.
अनसुलझे सवालों का पहाड़
अस्पताल में मरा कौन? अगर भोला राम जिंदा है, तो DMCH में जिस शख्स की मौत हुई, वह कौन था? परिजनों ने उसे भोला के रूप में कैसे पहचान लिया?
परिजनों की गलती या साजिश? भोला के भाई धीरज और परिवार ने घायल युवक को भोला क्यों समझा? क्या यह सिर्फ गलतफहमी थी, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है?
पुलिस की भूमिका? भोला की गुमशुदगी की शिकायत के बावजूद पुलिस ने शुरुआत में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? क्या पुलिस की लापरवाही ने इस मामले को और उलझा दिया?
नेपाल कनेक्शन क्या है? भोला को नेपाल कौन ले गया? क्या यह अपहरण का मामला है, या कोई बड़ा रैकेट चल रहा है?
जांच में जुटी पुलिस
भोला राम के जिंदा लौटने से यह मामला और रहस्यमयी हो गया है. पुलिस अब इसकी जांच में जुट गई है. लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर वह घायल युवक कौन था, जिसकी मौत के बाद इतना बवाल हुआ. साथ ही, भोला के अपहरण की कहानी की सच्चाई भी सामने आनी बाकी है.