Sengol Controversy: लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के पास लगे सेंगोल को लेकर सियासत तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी ने सेंगोल की जगह संसद में संविधान की एक प्रति लगाने की मांग की है. इसके बाद से सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी जारी है. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती ने भी शुक्रवार को सेंगोल विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी.
मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में तथा आम जनहित के मुद्दों को भी लेकर केन्द्र सरकार को घेरती.” उन्होंने आगे कहा, “जबकि सच्चाई यह है कि यह पार्टी अधिकांश ऐसे मुद्दों पर चुप ही रहती है तथा सरकार में आकर कमजोर वर्गों के विरूद्ध फैसले भी लेती है. इनके महापुरूषों की भी उपेक्षा करती है. इस पार्टी के सभी हथकंडों से जरूर सावधान रहें.”
1. सेंगोल को संसद में लगाना या नहीं, इस पर बोलने के साथ-साथ सपा के लिए यह बेहतर होता कि यह पार्टी देश के कमजोर एवं उपेक्षित वर्गों के हितों में तथा आम जनहित के मुद्दों को भी लेकर केन्द्र सरकार को घेरती।
— Mayawati (@Mayawati) June 28, 2024
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दरअसल, लोकसभा सदस्य की शपथ लेने के साथ ही समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर मांग की है कि संसद से सेंगोल हटाया जाना चाहिए, और वहां संविधान की एक प्रति लगाई जानी चाहिए. चौधरी ने कहा है कि यह राजशाही प्रतीक है, जबकि देश में लोकतंत्र का राज है. उधर, सपा नेता के बयान पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने कहा कि संविधान अहम है, हम इंडिया गठबंधन में इस पर चर्चा करेंगे.
सीएम योगी ने कही ये बात
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सेंगोल का विरोध किए जाने को लेकर सपा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सपा के मन में भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति कोई सम्मान नहीं है. सीएम योगी ने एक्स पर लिखा, ”सेंगोल पर सपा के शीर्ष नेताओं की टिप्पणियां निंदनीय हैं. यह उनकी अज्ञानता को दर्शाती है. यह विशेष रूप से तमिल संस्कृति के प्रति इंडी गठबंधन की नफरत को भी दर्शाता है. सेंगोल भारत का गौरव है. यह सम्मान की बात है कि प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया.”