CAA: भारत के पड़ोसी मुस्लिम बहुल देशों में उत्पीड़न का शिकार हिंदुओं को बचाने के लिए साधन के तौर पर सीएए देश में लागू किया गया है. सीएए लागू होने के बाद सरकार लगातार इस बात का आश्वासन दे रही है कि कोई भारतीय नागरिक अपनी नागरिकता नहीं खोएगा. एनआरसी के मुद्दे पर पूरी तरह खामोश नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को सीएए की नोटिफिकेशन जारी किया है.
मोदी सरकार लगातार सीएए के बारे में बात करते हुए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए प्रताड़ित हिंदू और सिख प्रवासियों के लिए न्याय की बात कर ही है. सरकार को उम्मीद है कि सीएए के माध्यम से एनआरसी आने से पहले मुसलमानों के डर को दूर कर लिया जाएगा. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2019 में कहा था कि एनआरसी के पारित होने के बाद लागू होगा.
आरोपों पर जवाब दे रही सरकार
सीएए को लेकर तमाम तरह के आरोप विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे हैं, जिसका PIB द्वारा मंगलवार को खंडन किया गया है. तमाम तरह के आरोपों और अटकलों पर सरकार लगातार जवाब दे रही है. सरकार द्वारा लगातार आश्वासन दिया जा रहा है कि भारतीय मुसलमानों को इससे किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा.
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सीएए किसी धर्म को चिन्हित कर लागू किए जाने के आरोपों पर सरकार का कहना है कि यह पूरी तरह भ्रामक है. सरकार ने कहा है कि एनआरसी की प्रक्रिया द्वारा ही यह तय होगा कि वह भारत का नागरिक है या नहीं. एक बार अगर आप भारतीय नागरिक घोषित कर दिए गए हैं तो आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
जानकार बताते हैं कि सीएए संसद द्वारा पारित होने के बाद देश में लागू किया जा गया है. जबकि देश में एनआरसी के नियम और प्रक्रियाएं अभी तय नहीं हो पाई हैं. सरकार ने अभी इस संबंध में कोई फैसला नहीं किया गया है कि एनआरसी के तहत नागरिकता को साबित करने के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी.