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जम्मू-कश्मीर को लेकर केंद्र का बड़ा फैसला, LG को मिली दिल्ली के उपराज्यपाल जैसी शक्तियां

LG मनोज सिन्हा (फाइल फोटो)

Jammu & Kashmir: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव होंगे. दरअसल, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल यानी एलजी की शक्तियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. यहां अब सरकार उपराज्यपाल की अनुमति के बिना अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग नहीं कर सकेगी. बता दें कि जब से जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन हुआ है, तब से वहां विधानसभा चुनाव नहीं हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक यहां विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया था. मतलब अब जब भी चुनाव होंगे और सरकार का गठन होगा तो चुनी हुई सरकार से अधिक शक्तियां उपराज्यपाल के पास रहेंगी. ये शक्तियां ठीक वैसी ही हैं जैसे दिल्ली के उपराज्यपाल के पास हैं.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है, जिसमें उपराज्यपाल को अधिक शक्ति देने वाली नई धाराएं शामिल की गई हैं. सूत्रों का कहना है कि केवल व्यापार नियमों के लेनदेन में संशोधन किया गया है. इन नियमों में कुछ भी नया नहीं दिया गया है. यह पहले से ही 2019 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम में उल्लिखित है. नियमों में वर्तमान संशोधन एसआरए 2019 के मौजूदा प्रावधानों से प्रवाहित प्रकृति में एक स्पष्टीकरण मात्र है.

नए संसोधन के बाद जोड़े गए ये नियम

42A- कोई भी प्रस्ताव जिसके लिए अधिनियम के तहत ‘पुलिस’, ‘सार्वजनिक व्यवस्था’, ‘अखिल भारतीय सेवा’ और ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ (ACB) के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति जरूरी है, तब तक स्वीकृत या अस्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है.

42B- अभियोजन स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा.

पूर्व CM उमर अब्दुल्ला ने कही ये बात

उधर, केंद्र सरकार के इस फैसले पर पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं. यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है. जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टैम्प सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी.”

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