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विरोध के बाद केंद्र सरकार ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 को किया होल्ड, इसे लेकर क्यों मचा हंगामा? जानें सबकुछ

प्रतीकात्मक तस्वीर

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Broadcasting Bill 2024: मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 वापस ले लिया है. जानकारी के मुताबिक, अब विचार विमर्श के बाद इसका नया मसौदा तैयार किया जाएगा. सरकार के लाए इस नए ब्रॉडकास्टिंग बिल को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मानसून सत्र में पेश किया था. इस बिल के पेश होने के बाद इंडिविजुअल कंटेंट क्रिएटर्स और डिजिटल ब्रॉडकास्टर्स के लिए टेंशन बढ़ गई थी. हालांकि, अब सरकार ने इसे वापस लेते हुए कहा है कि पब्लिक कॉमेंट लेने के बाद इसका मसौदा फिर से तैयार किया जाएगा.

सरकार ने क्या कहा?

मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस बिल के ड्राफ्ट पर पब्लिक कॉमेंट की डेडलाइन 10 नवंबर, 2023 थी. बाद में सरकार ने बिल का दूसरा ड्राफ्ट इस साल जुलाई में तैयार किया था. अब मंत्रालय ने कहा है कि 15 अक्टूबर, 2024 तक लोग इस मसौदा बिल पर अपने सुझाव दे सकेंगे. मंत्रालय ने कहा है कि विस्तृत परामर्श के बाद एक नया मसौदा प्रकाशित किया जाएगा. फिलहाल टिप्पणियां और सुझाव मांगने के लिए अतिरिक्त समय दिया जा रहा है.

गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 का मसौदा तैयार किया था. कहा जा रहा था कि यह 1995 के टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम की जगह लेगा. रिपोर्ट्स बताती हैं कि विधेयक में ऐसे प्रभावशाली लोगों और सोशल मीडिया पेजों को वर्गीकृत किया जाएगा जो ऑनलाइन कंटेंट बनाते हैं या समसामयिक मामलों या समाचारों पर चर्चा करते हैं. इस कैटेगरी का नाम ‘डिजिटल समाचार प्रसारक’ रखा जा सकता है.

क्या है ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024?

जानकारों की मानें तो केंद्र सरकार अब उन बेलगाम क्रिएटरों पर लगाम लगाना चाहती है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट बनाते हैं. सरकार इस विधेयक के जरिए ओवर-द-टॉप (OTT) कंटेंट और डिजिटल संचार को कंट्रोल करना चाहती है. एक बार यह बिल कानून बन जाने के बाद क्रिएटरों को पहले रजिस्ट्रेशन कराना हो पड़ सकता. सरकार के आदेशों का पालन नहीं करने पर जुर्माना भी लगाने का प्रावधान किया जा सकता है.

ब्रॉडकास्टिंग बिल 2024 ‘डिजिटल समाचार प्रसारकों’ को शामिल किया गया है.  ऑनलाइन समाचार और समसामयिक मामलों के कंटेंट तैयार करने वाले व्यक्ति और संस्थाओं को भी शामिल किया गया है. जिसमें न्यूज़लेटर, सोशल मीडिया पोस्ट, पॉडकास्ट और वीडियो शामिल हैं. उदाहरण के लिए, YouTube पर वित्तीय सलाह देने वाला चार्टर्ड अकाउंटेंट या Twitter पर अपडेट साझा करने वाला पत्रकार इस ब्रॉडकास्टिंग बिल के अंतर्गत आ सकता है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कानून विकसित हो रहे डिजिटल मीडिया परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखें. इस विधेयक में इंटरनेट प्रोवाइडर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन सर्च इंजन और मार्केटप्लेस को भी शामिल किया गया है. इसके तहत इन सभी को केंद्र सरकार को OTT और डिजिटल समाचार प्रसारकों के बारे में डेटा उपलब्ध कराना होगा.

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इंडिविजुअल कंटेंट क्रिएटर्स की बढ़ेगी मुसीबत

यदि कोई क्रिएटर डिजिटल समाचार प्रसारक है तो उसे अपने काम के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) को सूचित करना होगा. उन्हें अपने खर्च पर सामग्री मूल्यांकन समिति (CEC) भी बनानी होगी, जिसमें विभिन्न सामाजिक समूहों, महिलाओं, बाल कल्याण, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अल्पसंख्यकों के बारे में जानकार व्यक्तियों सहित विविध प्रतिनिधित्व हो. CEC सदस्यों के नाम सरकार के साथ साझा किए जाने चाहिए.

विधेयक के मुताबिक, ऐसी समिति नियुक्त करने में विफल रहने पर दंड गंभीर हो सकता है. समाचार बनाने वाले कोई भी व्यक्ति अपने CEC के सदस्यों के बारे में केंद्र सरकार को सूचित नहीं करते हैं, उन्हें पहले उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये और तीन साल के भीतर बाद के उल्लंघन के लिए 2.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

सरकार यह विधेयक क्यों लाना चाह रही है?

ऐसा माना जाता है कि YouTube पर करंट अफेयर्स और न्यूज़ कंटेंट के कुछ प्रमुख भारतीय क्रिएटर सरकार की जांच के दायरे में हैं. नवंबर 2023 में जारी किए गए संस्करण की तुलना में मसौदा विधेयक के दायरे का विस्तार 2024 के लोकसभा चुनावों में कथित कंटेंट क्रिएटरों की भूमिका के कारण है. एक अधिकारी ने कहा था कि चुनाव अवधि के दौरान सरकार और उसके नेताओं के बारे में सनसनीखेज दावों के साथ करंट अफेयर्स पर वीडियो बनाए गए.

विधेयक का विरोध क्यों हो रहा?

नेटवर्क ऑफ़ वीमेन इन मीडिया, इंडिया (NWMI) ने प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 के बारे में चिंता व्यक्त की है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय को प्रस्तुत अपने प्रस्ताव में NWMI ने तर्क दिया कि विधेयक पारंपरिक और डिजिटल मीडिया दोनों पर अत्यधिक नियंत्रण कर सकता है. यदि ड्राफ्ट ब्रॉडकास्ट बिल के माध्यम से ऑनलाइन सामग्री को बड़े पैमाने पर विनियमित करने का भारत का प्रयास कानून बन जाता है, तो मिस्टर बीस्ट जैसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिएटर्स को भारत सरकार के साथ ओटीटी ब्रॉडकास्टर के रूप में रजिस्ट्रेशन करना पड़ सकता है. कंटेट क्रिएट करने से पहले अप्रूवल लेना पड़ सकता है. इंस्टाग्राम पर विराट कोहली, यूट्यूब पर टेक्निकल गुरुजी, ट्विटर पर आनंद महिंद्रा और यहां तक कि यूट्यूब पर छोटे कंटेंट क्रिएटर्स जैसे अन्य लोगों पर अनुपालन का बोझ बढ़ जाएगा. ऐसे में कई छोटे क्रिएटर कंटेंट बनाना भी छोड़ सकते हैं.

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