Calcutta HC: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को राज्यपाल सी वी आनंद बोस के खिलाफ कोई भी अपमानजनक या गलत बयान देने से रोक दिया है. राज्यपाल ने 28 जून को बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था, एक दिन पहले उन्होंने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि वे राजभवन जाने से डरती हैं. राज्य सचिवालय में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान, बनर्जी ने 27 जून को कहा था कि महिलाओं ने मुझे बताया है कि वे हाल ही में हुई घटनाओं के कारण राजभवन जाने से डरती हैं.
उनकी टिप्पणी के बाद, राज्यपाल ने कहा था कि जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे “गलत और बदनामी वाली धारणा” न बनाएं. 2 मई को राजभवन की एक संविदा महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी. संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत, राज्यपाल के पद पर रहने के दौरान उनके खिलाफ कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है.
ये टिप्पणियां अपमानजनक नहीं थीं- वकील एस.एन. मुखर्जी
अदालत में सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री के वकील ने कहा कि ये टिप्पणियां अपमानजनक नहीं थीं, बल्कि वास्तव में जनहित में की गईं. यह भी कहा गया कि राज्यपाल द्वारा दायर मुकदमा स्वीकार्य नहीं होगा. वहीं, राज्यपाल बोस के वकील ने कहा कि वादी इस तरह की राहत की मांग कर रहा है कि मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ दल के दो अन्य विधायकों को उनके खिलाफ कोई भी बयान देने से रोका जाए.
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जानें क्या है मामला?
दरअसल, ये विवाद तब शुरू हुआ, जब बनर्जी ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस की दो महिला विधायकों ने कथित तौर पर उनसे कहा कि राज्यपाल सीवी बोस द्वार पद की शपथ दिलाने के लिए राजभवन जाने पर उन्हें असुरक्षित महसूस होता है.