Gujarat News: कांग्रेस के जूनागढ़ शहर के SC/ST सेल के अध्यक्ष राजेश सोलंकी ने पिछले दिनों बड़ा ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह अपने पूरे परिवार के साथ इस्लाम कबूल कर लेंगे. राजेश सोलंकी के बेटे पर मई में बीजेपी विधायक गीताबा जडेजा के पति ने कथित रूप से हमला किया था. राजेश सोलंकी तब से न्याय की मांग कर रे हैं. उन्होंने कहा है कि अगर गुजरात की बीजेपी सरकार विधायक का इस्तीफा और उनके पति की गिरफ्तारी की मांग नहीं मानती तो वह शांत नहीं बैठेंगे. उन्होंने कहा कि वह दलित समुदाय से आते हैं लेकिन उनका पूरा परिवार और उनके कुछ अन्य लोग इस्लाम अपना लेंगे.
मामले में आया नया मोड़
अब इस मामले में नया मोड़ आया है. बीजेपी विधायक और उनके पति पर आरोप लगाने वाले सोलंकी अब पूरे परिवार समेत कानूनी शिकंजे में फंस गए हैं. दरअसल, गुजरात पुलिस ने कहा है कि कांग्रेस के दलित नेता राजेश उर्फ राजू सोलंकी की शिकायत पर अगर राज्य सरकार गोंडल की बीजेपी विधायक गीताबा जडेजा और उनके पति के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है, तो राजू और उनके परिवार के 4 और लोगों के खिलाफ गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण (GUJCTOC) अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी. पुलिस ने कहा कि राजेश के परिवार पर 2014 से कथित तौर पर एक अपराध सिंडिकेट चलाने का आरोप है.
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LCB के प्रभारी निरीक्षक जेजे पटेल ने दर्ज कराया मामला
गौरतलब है कि जूनागढ़ जिले के स्थानीय अपराध शाखा (LCB) के प्रभारी निरीक्षक जेजे पटेल ने राजेश सोलंकी परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है. अपनी शिकायत में पटेल ने राजेश, उसके भाई जयेश उर्फ जावो उर्फ सावन सोलंकी, उसके दोनों बेटों संजय और देव और भतीजे योगेश बागड़ा को आरोपी बनाया है. पुलिस ने राजू के साथ-साथ दो बेटों और भतीजे को भी गिरफ्तार कर लिया . जयेश एक डॉक्टर से जुड़े हत्या के प्रयास के मामले में न्यायिक हिरासत में है. शिकायत के अनुसार, पांचों कथित तौर पर पिछले 10 वर्षों से हत्या के प्रयास, पुलिसकर्मियों पर हमला, चोरी, डकैती, दंगा, जबरन वसूली, अपहरण, आपराधिक धमकी आदि जैसे अपराधों में शामिल रहे हैं.
राजेश सोलंकी के खिलाफ 10 FIR
एफआईआर में राजू के खिलाफ पहले दर्ज 10 आपराधिक मामलों को लिस्ट करते हुए पुसिस ने कहा कि वह एक गिरोह का नेता है. एफआईआर के अनुसार, जयेश, संजय, योगेश और देव के खिलाफ क्रमशः नौ, छह, तीन और दो मामले दर्ज किए गए थे. गुजेक्टोक (GUJCTOC) अधिनियम के तहत दर्ज मामले गैर-जमानती हैं और पुलिस लगातार 30 दिनों तक आरोपियों की रिमांड ले सकती है. अधिनियम के तहत, पुलिस को आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए छह महीने का समय मिलता है. अगर सजा की बात करें तो इसमें आजीवन कारावास और संपत्ति की कुर्की भी हो सकती है.